इस साल शेयर बाजार में निवेश करने वालों को अच्छा फायदा होगा. असल में टॉप 75 कंपनियां डिविडेंड और बायबैक के द्वारा करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये का फायदा देने की तैयारी कर रही हैं. शेयर बाजार की शीर्ष कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों की इस साल चांदी होगी. एक रिपोर्ट के अनुसार बीएसई की शीर्ष 500 कंपनियों में से 75 कंपनियां शेयरधारकों को डिविडेंड (लाभांश) या बायबैक (पुनर्खरीद) के जरिये 1.10 लाख करोड़ रुपये का फायदा दे सकती हैं.
परामर्श देने वाली कंपनी इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया ने इन 500 कंपनियों के पिछले वित्त वर्ष के परिणाम का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है. कंपनी ने पिछले साल की रिपोर्ट में 92 कंपनियों की पहचान की थी, जो 34 हजार करोड़ रुपये लाभांश दे सकती थीं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया, ‘यह 1.10 लाख करोड़ रुपये 75 कंपनियों के कर बाद मुनाफे के बराबर है और यह पिछले वित्त वर्ष में लाभांश के तौर पर दिये गये 62,100 करोड़ रुपये से इतर है.’
डिविडेंड या लाभांश किसी कंपनी के लाभ में भागीदारों का अंश होता है जो कंपनी मुनाफा कमाने पर अपने शेयरधारकों को देती है. किसी ज्वाइंट स्टॉक कंपनी में लाभांश, शेयरों के निश्चित मूल्य (Fixed Prise या Base Price) के आधार पर मिलता है. इस मामले में शेयरधारक उसके शेयर के अनुपात में डिविडेंड ग्रहण करता है.
डिविडेंड कितना देना है इसका निर्धारण कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स करता है. हालांकि शेयरधारक भी अपने वोटिंग राइट्स के मुताबिक इस पर मुहर लगाते हैं. लाभांश नकदी, शेयर या अन्य किसी प्रॉपर्टी के रूप में दिए जा सकते हैं, लेकिन ज्यादातर कंपनियां नकदी के रूप में ही लाभांश देना पसंद करते हैं. कंपनियों के अलावा म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) भी लाभांश वितरित करते हैं. पिछले साल के बजट में म्यूचुअल फंड से होने वाले लाभांश पर 10 फीसदी का टैक्स भी लगा दिया गया है.
क्या होता है बायबैक
जब किसी कंपनी को अपनी शेयरों की मजबूती पर भरोसा होता है तो शेयरधारकों से कंपनी के शेयरों की बायबैक या पुनर्खरीद करती है. कंपनी इस तरह से खुले बाजार में उपलब्ध शेयरों की संख्या को घटाती है और प्रमोटर्स की हिस्सेदारी बढ़ जाती है. कंपनी के बायबैक करने की कई वजह होती है. इस तरह से शेयरों की वैल्यू बढ़ाने की भी कोशिश होती है, क्योंकि खुले बाजार में शेयरों की आपूर्ति कम हो जाती है और मांग ज्यादा रहती है.
इसके अलावा प्रमोटर जब यह चाहते हैं कि कंपनी का नियंत्रण उनके हाथ में बना रहे और दूसरे शेयरधारकों के पास ज्यादा हिस्सेदारी न चली जाए तो भी वे बायबैक करते हैं. इसके लिए शेयरधारकों को बाजार से अच्छी कीमत दी जाती है ताकि वे बायबैक ऑफर स्वीकार करने के लिए आकर्षित हों.