वृद्धा की हत्या के आरोपित को हत्या का दोषी न मानते हुए चोरी में तीन साल की सजा सुनाई

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम आरके खुल्बे की अदालत ने तीन साल पूर्व रायपुर के सरस्वती विहार में हुई वृद्धा की हत्या के आरोपित को हत्या का दोषी न मानते हुए चोरी में तीन साल की सजा सुनाई।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह सिद्ध करने में असफल रहा कि वृद्धा के घर से सामान चोरी कर भागे गुरुवेज सिंह उर्फ तेजा निवासी मोगा (पंजाब) ने ही हत्या की है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि फैसले के खिलाफ वह ऊपरी अदालत में अपील की जाएगी। 

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) जया ठाकुर ने अदालत को बताया कि रानू नागलिया (56) का शव 19 जून 2016 को उनके रायपुर थाना क्षेत्र के सरस्वती विहार स्थित फ्लैट में मिला था। रानू का मोबाइल, स्कूटी और शरीर पर पहने गहने गायब थे। 

पुलिस को कमरे से सरदारों द्वारा बालों में लगाया जाने वाला पिन भी मिला था। पीएम रिपोर्ट में सांस रुकने मौत का कारण बताए जाने पर रायपुर पुलिस ने तहकीकात शुरू की तो संदेह गुरुवेज सिंह उर्फ तेजा पुत्र गुरुमीत सिंह निवासी समादभाई थाना बाघापुराना जिला मोगा पंजाब पर शक हुआ। 

तेजा अक्सर रानू के घर आया जाया करता था। घटना के दिन तेजा की मोबाइल लोकेशन रायपुर में ही थी, उसे 24 जून को सहस्रधारा क्रासिंग से गिरफ्तार किया गया। तब उसके पास से रानू की स्कूटी, मोबाइल व गहने आदि बरामद किए थे। 

इस वारदात में तेजा ने एक और शख्स का नाम लिया था, लेकिन पुलिस ने अकेले तेजा के खिलाफ हत्या, लूट की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 13 गवाह पेश किए। 

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका है। इससे यह साबित हो सके कि तेजा ने ही रानू की हत्या की है। केवल सामान बरामदगी होने से उसे हत्या का दोषी नहीं माना जा सकता। अदालत ने उसे आइपीसी की धारा 411 (चोरी का सामान बरामद होना) में तीन साल की सजा सुनाई है।

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