पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू, सिद्धू और राष्ट्रवाद पर बोले…

पंजाब में मोदी का विजय रथ रोकने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर ताल ठोकने को तैयार हैं। कैप्टन ने लोकसभा की 13 सीटों को लेकर आलाकमान को आश्वस्त कर दिया है कि लोकसभा चुनाव में भी नतीजे पिछले विधानसभा चुनाव जैसे ही आएंगे। ऐसे में टिकट वितरण में कैप्टन जहां पूरी तरह से अपनी पसंद चलाएंगे, वहीं न चाहते हुए भी आलाकमान को कैप्टन के बताए हुए चेहरों को वरीयता देनी पड़ेंगी।

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान को सबसे ज्यादा उम्मीदें पंजाब से हैं। अमर उजाला से बातचीत में कैप्टन ने स्पष्ट किया कि पंजाब में जो विकास कार्य उन्होंने किए हैं, उन्हीं कार्यों का नतीजा है कि जनता लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाएगी। हमने दो साल के अंदर जो कार्य किए हैं, उनसे मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं। आने वाले समय में सभी वादे पूरे करूंगा। यहां पढ़िए अमर उजाला के सवालों पर क्या बोले कैप्टन अमरिंदर सिंह…

1- सवाल : पंजाब की सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के भविष्य को आप किस तरह देखते हैं? क्या आपको लगता है कि रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के नेतृत्व में टकसाली, शिअद के कैडर आधारित मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल होंगे?

जवाब – अकालियों ने 10 वर्षों में अपनी जेब भरने के लिए पंजाब में कुशासन किया। पार्टी में विभाजन दिखाता है कि उनके लिए यह व्यक्तिगत लाभ के अलावा कुछ भी नहीं था। पार्टी के भीतर विद्रोह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि यह तो होना ही था। पंजाब में सिर्फ सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते ही वे मतदाताओं का साथ नहीं पा सकते।

यह स्पष्ट है कि एक नए संगठन को जगह बनाने और अपनी नीतियां लाने में समय लगता है। शिअद से टूट कर अलग हुए दूसरे गुट के पास तो अपने कार्यक्रमों पर विचार करने तक का समय नहीं। शिअद के कैडर आधारित जिस वोट बैंक की बात कर रहे हैं, उसने तो दो साल पहले ही उसके बारे में सोचना बंद कर दिया था जब पार्टी को राज्य के राजनीतिक अखाड़े में पछाड़ दिया गया था।

2- सवाल : आपके विचार से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से कौन प्रधानमंत्री हो सकता है या कांग्रेस मनमोहन सिंह को आगे करेगी?

जवाब – यह निर्णय पार्टी नेतृत्व को करना है। लेकिन मैं फिर कहना चाहूंगा कि राहुल प्रधानमंत्री पद के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वह एक परिपक्व और सशक्त नेता हैं जिन्होंने लोगों की नब्ज को पढ़ना शुरू कर दिया है। हाल ही में कई चुनावों में कांग्रेस की जीत से यह स्पष्ट है।

3- सवाल : आपने हाथों में गुटका साहिब लेकर चार हफ्तों में ड्रग्स खत्म करने का वादा किया था। उसका क्या हुआ? पंजाब के युवा अब भी ड्रग्स से मर रहे हैं। लोग चिट्टे के खिलाफ काला सप्ताह मना रहे हैं।

जवाब – हां, मैंने ड्रग्स माफिया की रीढ़ तोड़ने का वादा किया था और काफी हद तक कामयाब रहा। किसी के कहने की हिम्मत नहीं की कि मैंने ऐसा नहीं किया है। जो युवा अब मर रहे हैं, वे ड्रग्स के कारण नहीं बल्कि उन दवाओं के कारण मर रहे हैं जो उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही है। यह उनके और उनके परिजनों में जागरूकता की कमी को दर्शाता है।

इस कमी को हम बड़े पैमाने पर सरकार और लोगों के बीच साझेदारी के माध्यम से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम ड्रग्स के खिलाफ बड़ा अभियान चला रहे हैं। हमारे ‘बडी’ और ‘डैपो’ प्रोग्राम को सफलता मिल रही है। इनका इस्तेमाल न केवल हम ड्रग्स की समस्या से लड़ने बल्कि, इसे जड़ से खत्म करने के लिए कर रहे हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि इस समस्या की जड़ें गहरी हैं और इसे उखाड़ने में समय लगेगा। लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह जरूर खत्म होगी। मैंने ड्रग्स कारोबार की कमर तोड़ने के अपने वादे को पूरा किया है। अब मैं वादा करता हूं कि हमारे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मैं इससे छुटकारा दिलाने के लिए जो कर सकता हूं, वह सब करूंगा।

4- सवाल : सत्ता में आने से पहले आपने कहा था कि उन अकाली नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी जो नशे के काले कारोबार में संलिप्त हैं। तब आप अक्सर बिक्रम मजीठिया का नाम लिया करते थे पर किसी भी बड़े अकाली नेता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसे क्या कहा जाए?

जवाब – मैंने कोई नाम लिया, यह मुझे याद नहीं है। लेकिन जब लोगों ने उसका नाम लिया तो मैंने कहा कि अगर वह इस जघन्य अपराध के पीछे है, तो उन्हें परिणाम भुगतना होगा। हालांकि हम बड़ी संख्या में ड्रग पैडलर्स को गिरफ्तार करने में सफल रहे हैं पर बड़ी मछलियां फरार हैं। इनमें से अधिकांश पंजाब से भाग निकली हैं, कुछ विदेश में जा छिपे। जैसा कि राहुल गांधी ने भी कहा था कि केंद्र सरकार को ईडी को उन्हें पकड़ने के निर्देश देने चाहिए। उन पर पंजाब के लोगों और युवाओं की भी जिम्मेदारी है।

5- सवाल – नौकरी के मोर्चे पर आप पर ‘घर-घर रोजगार’ के नारे लगाकर युवाओं को गुमराह करने का आरोप है। विपक्षी पार्टी के नेताओं का कहना है कि कैप्टन सिर्फ वोट हासिल करने के लिए युवाओं को बरगलाते हैं। हर जिले में रोजगार मेले महज दिखावा हैं। इसी तरह युवाओं को एक साल मुफ्त डाटा वाले 50 लाख स्मार्टफोन देने का वादा भी अब तक पूरा नहीं हुआ है।

जवाब – क्या आप कह रहे हैं कि हमने नौकरियों के आंकड़े दिए हैं, वे झूठे हैं? अगर मुझे ऐसा करना होता है तो सौ फीसदी रोजगार दिखाता, न कि केवल कुछ लाख नौकरियां। मेरे लिए बेरोजगार युवा सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यही वजह है कि जब हमने सत्ता संभाली तो मैंने इसे अपनी सरकार का प्राथमिक एजेंडा बनाया। बेरोजगार युवा अपराधियों और ड्रग माफियाओं आदि के लिए आसान शिकार हैं, जो कि शिअद के एक दशक लंबे शासन के दौरान हो रहा था।

दो साल में कम समय में 5.62 लाख रोजगार यानी हर दिन औसतन 800 रोजगार देना मेरी सरकार की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक हैं। जहां तक स्मार्टफोन की बात है, यह प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। पिछली सरकार से विरासत में मिली वित्तीय हालत को देखते हुए यह हमारे लिए प्राथमिकता नहीं हो सकती थी। अन्य बड़ी चिंताएं थीं जिन्हें प्राथमिकता देने की आवश्यकता थी। इसमें कृषि कर्ज, रोजगार, औद्योगिक पुनरुद्धार आदि शामिल थे।

6- सवाल : ऐसे समय में जब भारतीय सैनिकों और नागरिकों को पाकिस्तानी सेना या उनकी कठपुतलियों द्वारा मारा जा रहा है, आपके कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की भाषा बोल रहे हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब – मैंने यह पहले भी कहा है और मैं अब भी इस बात पर कायम हूं कि नवजोत सिद्धू शायद स्थिति को संभालने और प्रतिक्रिया देने में भोले हैं। लेकिन कोई भी उन पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप नहीं लगा सकता है, बेशक वे पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि उन्होंने इस स्थिति को एक सैनिक या राजनीतिज्ञ के बजाय एक खिलाड़ी के रूप में देखने की गलती की है। यह समझ की कमी दिखा सकता है लेकिन निश्चित रूप से राष्ट्र विरोधी होने का संकेत नहीं है।

7- सवाल : कुछ विरोधी नेता ही नहीं बल्कि आपकी ही पार्टी के कई नेता कह रहे हैं कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर और ‘मेरे कप्तान’ जैसी टिप्पणी से सिद्धू पंजाब में कांग्रेस का चेहरा बनना चाहते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब -मुझे लगता है कि मीडिया को अपने पाठकों के लिए कुछ मसाला चाहिए और यह सब उसी का हिस्सा है। मुझे एक भी कांग्रेसी नेता बताइए, जिसने ऐसी टिप्पणी की हो जैसा कि आप कह रहे हैं। जहां तक कांग्रेस का चेहरा बनने की बात है तो मुझे यकीन है कि हर कांग्रेसी में इस तरह की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन अकेले महत्वाकांक्षा ही एक व्यक्ति को वहां तक नहीं ले जा सकती। ऐसा करने के लिए कई चीजें और चाहिए। इन सभी मापदंडों के आधार पर लोग और पार्टी नेतृत्व नेताओं को चुनता है।

8- सवाल : बरगाड़ी बेअदबी के संवेदनशील मामले और बहिबल कलां और कोटकपूरा गोलीकांड के बाद आप पर पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के प्रति नरम रुख बरतने का आरोप है। आलोचकों का कहना है कि राजनीतिक प्रतिशोध की रेखा पर न चलने की आड़ लेते हुए मुख्यमंत्री अपराधियों को बचा रहे हैं। क्या अपराधियों पर उनके जुर्म के लिए केस दर्ज किया गया है या यह सिर्फ चुनावी आडंबर है।

जवाब – मुझे अपराधियों को बचाने के लिए एक अच्छा कारण दें, और वह भी ऐसे लोग जिन्होंने इस तरह का गंभीर जुर्म किया है। लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने और निर्दोष लोगों पर गोलियां चलाने से ज्यादा गंभीर और कुछ नहीं हो सकता। लेकिन हम एक कानून विहीन समाज में नहीं रह रहे हैं। सब कानून के तहत होगा।

और मैं यह भी मानता हूं कि राजनीतिक प्रतिशोध किसी भी तरह धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी से कम नहीं है। लोगों ने मुझे उनकी भलाई के काम करने के लिए वोट दिया न कि बदला लेने में समय बर्बाद करने के लिए। एसआईटी अपना काम कर रही है। मैं फिर कह रहा हूं कि बेअदबी और गोलीबारी के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कितने भी ऊंचे पद पर हो या कितना भी ताकतवर क्यों न हों।

9- सवाल : सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आप पाकिस्तानी फौज और हुकूमत के खिलाफ काफी आक्रमक हो गए हैं। खुद कांग्रेस के एक बड़े खेमे का मानना है कि इस बाबत आप के सुर नरेंद्र मोदी से मिलते हैं? आप क्या कहेंगे?

जवाब – हमें राष्ट्रवाद पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि हर भारतीय को इस मुद्दे पर एक ही आवाज में बोलना चाहिए। कोई भी देशभक्त भारतीय कुछ और स्टैंड लेने के बारे में सोच भी नहीं सकता। हम अपने सैनिकों के हत्यारों को ऐसे ही नहीं जाने दे सकते। अगर हम आज ऐसा करते हैं तो यह सौ साल तक जारी रहेगा। वास्तव में यह और खराब हो जाएगा क्योंकि पाकिस्तान समझेगा कि हम में अपनी मातृभूमि की रक्षा करने की हिम्मत नहीं है।

10- सवाल : किसान आर्थिक तंगहाली और कर्ज से आजिज आकर खुदकुशी कर रहे हैं। सिलसिला दिन प्रतिदिन तेज होता जा रहा है। इस पर क्या कहेंगे?

जवाब – यह पूरी तरह से गलत है। जब से हमने सत्ता संभाली है तब से किसानों की आत्महत्याओं में भारी गिरावट आई है और यह आंकड़ों से स्पष्ट है। पीएयू के एक अध्ययन के अनुसार 2007 से 2017 के दौरान इस तरह की आत्महत्याओं की कुल संख्या 9155 थीं। इसका मतलब एक साल में 915 जो कि चौंकाने वाली है। वहीं 2017 से अब तक किसानों की खुदकुशी के 140 मामले सामने आए हैं। यानी 84 फीसदी गिरावट। अब अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं इन आंकड़ों से संतुष्ट हूं, तो यह कहना जल्दबाजी है।

मैं तब तक संतुष्ट नहीं हो सकता, जब तक मेरे राज्य का एक भी किसान आर्थिक बोझ के कारण दम तोड़ता है। ये वे हाथ हैं जो हमें और पूरे देश को खिलाते हैं। अगर हम उनकी देखभाल नहीं कर सकते हैं तो हमें खुद पर शर्म आनी चाहिए। मेरी सरकार किसानों की पीड़ा को दूर करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। विरासत में मिले आर्थिक संकट के बावजूद हम 2.82 लाख दलित और भूमिहीन मजदूरों के साथ 10.25 लाख छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज माफ कर रहे हैं।

केंद्र सरकार ने किसानों के प्रति सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है। उनकी केवल अपने उद्योगपति दोस्तों की जेब भरने में रुचि है। अगर उन्होंने मदद की होती तो किसानों को कर्ज के दुष्चक्र से बाहर लाने की प्रक्रिया को कई गुना तेज किया जा सकता था।

11- सवाल : आपके पिछले कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और अब नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व कर रहे हैं। आपको उन दोनों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है। उनकी कार्यशैली में आपको क्या फर्क लगता है?

जवाब – मेरे सभी प्रधानमंत्रियों के साथ अच्छे समीकरण रहे हैं। क्योंकि मेरा मानना है कि केंद्र और राज्यों को लोगों को सर्वश्रेष्ठ देने के लिए मिलकर काम करना होगा। प्रधानमंत्री की स्थिति में शैली नहीं बल्कि सूझबूझ मायने रखती है। वाजपेयी जी के अपने कौशल थे, मोदी जी के अपने कौशल हैं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com