नई दिल्ली : फरीदाबाद से सटे अरावली पर्वत में अवैध निर्माण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अरावली पर्वत को कोई नुकसान हुआ तो हरियाणा सरकार उसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। आज(शुक्रवार को) सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन(हरियाणा संशोधन अधिनियम) एक्ट की कॉपी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। अब इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। पिछले 01 मार्च को कोर्ट ने हरियाणा सरकार को चेतावनी दी थी कि उसके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चल सकता है। हरियाणा सरकार ने हाल ही में अरावली पर्वत पर निर्माण कार्य की अनुमति देने के लिए इस नए कानून को मंजूरी दी है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और इस कानून को लागू नहीं करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह कानून पारित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लघंन किया गया है। कोर्ट ने कहा कि आप सर्वोच्च नहीं हैं, इस देश का कानून सर्वोच्च है।
कोर्ट ने कहा था कि हम जानते हैं कि हरियाणा सरकार ने ऐसा बिल्डरों के पक्ष में किया है। ऐसा करना जंगलों को खत्म करना होगा। इसीलिए हमने पहले चेतावनी दी थी लेकिन हरियाणा सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है और हमारे आदेश का उल्लंघन करते हुए कानून पारित किया है। 11 दिसंबर,2018 को फरीदाबाद में दिल्ली की सीमा से सटे कांत एनक्लेव में अवैध निर्माण के मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मुआवजे की राशि जमा की थी। सुनवाई के दौरान हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी पेश हुए थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हरियाणा के मंगर गांव के पास चल रहे निर्माण कार्य पर हैरानी जताते हुए कहा था कि दक्षिण में ऐसे जंगल हैं, जहां लोग अपने जूते उतारकर जंगल में जाते हैं और यहां हम जंगलों के साथ क्या कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को मामले को देखने का निर्देश दिया था।