जम्मू बस स्टैंड पर हुए ग्रेनेड हमले ने एक बार फिर से सभी को सकते में डाल दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुलवामा के बाद बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक को अभी महज नौ दिन ही बीते हैं। जम्मू मुख्य बस स्टैंड में पिछले नौ महीनों में यह तीसरा बड़ा ग्रेनेड हमला है। फिलहाल किसी ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन इस बार के हमले में भी सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था। इस हमले की टाइमिंग को लेकर यदि ध्यान दें तो कई सारी बातें सामने निकलकर आती हैं।
यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि भारत में हमले के लिए जैश के आतंकियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि हमले के लिए आतंकी खुफिया जानकारी का भी इस्तेमाल करते रहे हैं। उनके इस बयान ने पाकिस्तान और वहां की सरकारों की कलई पूरी तरह से खोलकर रख दी है।
मुशर्रफ के बयान को यदि छोड़ भी दें तो पाकिस्तान में बैठे आतंकी कैंपों और इनके सरगनाओं पर कार्रवाई के पक्ष में पूरा विश्व एक साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। इजरायल ने जहां भारत की कार्रवाई का खुला समर्थन किया है वहीं ईरान ने भी साफ कर दिया है कि वह भी पाकिस्तान में बालाकोट जैसी स्ट्राइक आतंकियों के खिलाफ कर सकता है। इसके अलावा अमेरिका ने भी पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दबाव डाला है।
इसके अलावा जम्मू में यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब पाकिस्तान में सरकार आतंकियों पर दिखावे के लिए ही सही लेकिन कार्रवाई कर रही है। जैश सरगना मसूद अजहर और हाफिज सईद के दिखावे वाले कई संगठनों पर सरकार ने शिकंजा कसा है। मसूद अजहर के रिश्तेदार और कंधार विमान हाईजैक के मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में इस कार्रवाई से कहीं न कहीं पाकिस्तान के अंदर बैठे आतंकियों और उनके आकाओं को गुस्सा है।
इतना ही नहीं यह हमला ऐसे समय किया गया है जब दो दिन पहले ही अफजल गुरू के बेटे ने भारतीय होने पर ग गर्व होने की बात कही थी। यह बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि अफजल गुरू को संसद हमले में दोषी ठहराते हुए 9 फरवरी 2013 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। यह बयान बताता है कि राज्य के आम नागरिकों का आतंकवाद को लेकर मोह भंग हो चुका है।
वैश्विक मंच पर भी पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान काफी अलग-थलग पड़ चुका है। संयुक्त राष्ट्र में जैश सरगना को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पेश किया जा चुका है। हालांकि अभी तक इस पर फैसला नहीं हुआ है, लेकिन यदि इस बार चीन ने इस पर रोड़ा नहीं अटकाया तो इसका असर भी व्यापक होगा। पूरी दुनिया में जैश और मसूद की कलई खुलने के अलावा पाकिस्तान का झूठ भी सामने आ जाएगा। हर हालात में यह पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकी आकाओं के लिए बुरा समय ही कहा जाएगा। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पर फैसले का ऊंट किस करवट बैठेगा इस पर अभी कुछ कहना मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह काफी कुछ चीन के रुख पर ही निर्भर करता है। हालांकि चीन ने आतंकवाद के मुद्दे पर आए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर जरूर किए हैं।
पुलवामा हमले के बाद जहां भारत काफी गुस्से में है वहीं इस हमले से जुड़े करीब पांच आतंकियों को सुरक्षाबलों द्वारा ढेर किया जा चुका है। इसके बाद भी आतंकियों पर सुरक्षाबलों की कड़ी कार्रवाई जारी है। ऐसे में आतंकियों के दिलों में सुरक्षाबलों को लेकर जो खौफ पैदा हुआ है। कहा जा सकता है कि यह हमला कर आतंकियों ने अपनी वहां मौजूदगी का अहसास करवाने के लिए किया हो और ऐसा करने के आदेश पाकिस्तान में बैठे आकाओं से उन्हें मिले हों।
पुलवामा हमले के बाद भारत लगातार पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कहता रहा है। भारत ने इसका बदला लेने के लिए ही बालाकोट स्थित जैश के ट्रेनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी। इसके बाद पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने भारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन किया जिस दौरान पाकिस्तान का एक लड़ाकू विमान मार गिराया गया था। इसमें पाकिस्तान के एक विंग कमांडर की भी मौत हो गई थी। इस दौरान भारतीय पायलट का विमान भी क्रैश हो गया था और विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था। हालांकि उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।