प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 मार्च को उत्तर प्रदेश को बड़ा तोहफा दे सकते हैं. 9 मार्च को पीएम मोदी अपने नोएडा-ग्रेटर नोएडा दौरे के दौरान जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्टका शिलान्यास कर सकते हैं. साथ ही वह ग्रेटर नोएडा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किलॉजी का उद्घाटन भी करेंगे. इसके अलावा वह खुर्जा के बिजली उत्पादन संयंत्र का भी उद्घाटन करेंगे. बता दें कि ग्रेटर नोएडा में बनने वाला जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा.
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के जेवर में बनने वाला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा क्षेत्रफल, यात्री और टर्मिनल के लिहाज से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भी विशाल होगा. उम्मीद है कि 2023 तक नया हवाई अड्डा चालू हो जाएगा. इसे बनाने पर करीब 15-20 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. यह लगभग 5 हजार हेक्टेयर की भूमि पर बनाया जाना है.
वहीं केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के अनुसार जेवर हवाई अड्डा के निर्माण के लिए सारी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. करीब पांच हजार हेक्टेयर में बनने वाला जेवर हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगा. केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि 40 विदेशी कंपनियों ने जेवर क्षेत्र में ऑफिस व फैक्ट्री खोलने के लिए सरकार से जमीन मांगी है. उनके अनुसार जेवर हवाई अड्डा बनने से एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा.
50 साल की जरूरतों को ध्यान में रखकर होगा तैयार
नए हवाई अड्डे की सालाना क्षमता 3-5 करोड़ की होगी. यह 3,000 हेक्टेयर में विकसित किया जाएगा, जिसकी पहचान यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी ने कर दी है. इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है. यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि, ‘जेवर हवाई अड्डे को अगले 50 साल की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है. माना जा रहा है कि आने वाले पांच सालों में आईजीआई की यात्री क्षमता पूरी हो जाएगी और तब तक जेवर हवाई अड्डा बनकर तैयार हो जाएगा’.
सबसे बड़ा टर्मिनल
आईजीआई में तीन रन-वे और तीन टर्मिनल हैं. टर्मिनल- थ्री तीन विश्व का सबसे बड़ा यात्री टर्मिनल है. जेवर हवाई अड्डे पर पांच से ज्यादा रन-वे की जरूरत होगी. हालांकि पहले चरण में दो टर्मिनल ही बनाए जाएंगे. जेवर हवाई अड्डे की क्षमता सालाना 9 करोड़ यात्रियों को होगी. जो साल 2050 तक 20 करोड़ तक हो जाएगी. इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय पर सालाना 6.35 करोड़ यात्रियों का दबाव है, जबकि क्षमता 10 करोड़ यात्रियों की है.