जब भी हम बहुत ठंडी या गरम चीज खाते हैं, तो अचानक दांतों में तेज दर्द या झनझनाहट होने लगती है। यह झनझनाहट किसी एक दांत में भी हो सकती है और सभी दांतों में भी। कभी-कभी ये समस्या मुंह में हवा खींचने पर भी हो सकती है। ऐसा समस्या के ज्यादा गंभीर होने पर होता है।
क्यों होती है झनझनाहट
डेंटल सर्जन एंड इम्प्लांटोलॉजिस्ट एवं इंडियन डेंटल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. अवधेश तिवारी बताते हैं, ‘दांत का वो भाग, जो मुंह के अंदर दिखाई देता है, उसे हम क्राउन कहते हैं और जो भाग मसूड़े के अंदर होने की वजह से दिखाई नहीं देता उसे हम रूट या जड़ कहते हैं। क्राउन में सबसे अंदर पल्प नाम का भाग होता है, जिसमें रक्त और तंत्रिका संचार होता है।
इसकी बाहरी परत डेंटिन होती है, जो काफी सेंसिटिव होती है और सबसे बाहरी सुरक्षा परत को इनेमल कहते हैं, जो अंदरूनी सेंसिटिव डेंटिन की सुरक्षा करती है। अगर यह इनेमल झड़ने या कम होने लगता है, तो डेंटिन की परत ऊपर आ जाती है, जिससे झनझनाहट होने लगती है। इसी तरह मसूड़ों के ढीले पड़ने या घिसने पर मसूड़ों के जड़ की सबसे बाहरी परत भी संपर्क में आने लगती है, जिससे झनझनाहट होने लगती है।
ये भी हैं कारण
यह भ्रांति है कि ज्यादा ब्रश करने या ज्यादा रगड़ कर ब्रश करने से दांत सफेद होंगे। सच यह है कि दांतों को बहुत रगड़ने से इनेमल झड़ने लगता है।
मसूड़े दांतों की जड़ की तरफ से खुलने लगते हैं, जिसे हम दन्त विज्ञान की भाषा में जिंजाईवल रिसेशन कहते हैं। ऐसे में ज्यादा सख्त बाल वाले ब्रश या बहुत ज्यादा पेस्ट लगाकर दांतों को देर तक रगड़ते रहने से दांतों पर दोहरी मार पड़ती है। इससे दांतों में झनझनाहट होने लगती है।
दांतों को आपस में बहुत किटकिटाना या रगड़ना।
दांतों में पायरिया होना। इससे दांत खराब हो जाते हैं
दांतों में फ्रैक्चर या दांतों में कीड़ा लगना
ज्यादा एसिडिक खाना खाना या कोल्डड्रिंक पीना, दांतों की बाहरी परत को नुकसान पहुंचाता है।
बहुत एसिडिटी होने पर मुंह में पेट का एसिड आने लगता है, जो इनेमल को गलाने लगता है। इससे भी झनझनाहट की समस्या होने लगती है।