एक ओर कांग्रेस बीएसपी को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन करने के लिए कोशिश कर रही है , वहीं दूसरी ओर राजस्थान में हालात बिलकुल अलग है.यहां राज्य कांग्रेस बीएसपी का साथ नहीं चाहती है.
बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस इस प्रयास में है कि बसपा के साथ गठबंधन कर लिया जाए ,लेकिन कांग्रेस की राज्य इकाई ने इस तरह के किसी भी गठबंधन से इंकार कर दिया.राजस्थान में 17 प्रतिशत दलित हैं जो काफी अहम साबित हो सकते है. राजस्थान में दलितों के लिए 34 सीटें आरक्षित हैं. कांग्रेस के इंकार पर बीएसपी ने राजस्थान में अपनी तैयारी तेज़ करने को कहा है.
वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री और दलित नेता बाबूलाल नागर ने कहा कि बसपा के साथ गठबंधन करने की कोई ज़रूरत नहीं है.उनका कहना है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस दलितों के लिए आरक्षित सभी सीटों पर हार गई थी.दलितों को सिर्फ पार्टी अफेयर्स में शामिल किया जा सकता है. जबकि दूसरी ओर सेंटर फॉर दलित राइट्स के डायरेक्टर पीएल मिमरोथ का कहना है कि पिछले दिनों की कुछ घटनाओं ने दलितों को कांग्रेस पार्टी ने निराश किया है. कांग्रेस दलितों की भावनाओं पर खरी नहीं उतर पाई. नागर के अनुसार लोगों को बीएसपी को वोट देना वोट बर्बाद करना लगता है.जबकि कहा जाता है कि बीएसपी को मिलने वाला हर वोट कांग्रेस का है और ये बात कांग्रेस को समझना चाहिए.जबकि अलवर के खेमचंद धमानी बीएसपी से गठबंधन के पक्ष में है.