जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दुनियाभर से उंगलियां उठ रही हैं, लेकिन पाकिस्तान हर बार की तरह आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने की बजाय खुद के बचाव में जुटा हुआ है. इस्लामाबाद ने इस हमले के बाद खुद पर लग रहे आरोपों के मद्देनजर वहां भारतीय कार्यवाहक उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया को समन कर बुलाया गया. रेडियो पाकिस्तान ने इसकी जानकारी दी है.
इस्लामाबाद का कहना है कि इस हमले को लेकर उस पर आधारहीन आरोप लगाए जा रहे हैं, जिसका विरोध आहलूवालिया के समक्ष जाहिर किया गया और एक विरोध नोट सौंपा गया.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि इस भीषण आतंकवादी घटना में पाकिस्तान के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से साक्ष्य हैं.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (एशिया प्रशांत) द्वारा आहलूवालिया को पाकिस्तान के खिलाफ भारत अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों पर एक विरोध नोट सौंपा गया.
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, “पाकिस्तान ने घुसपैठ के भारत सरकार के आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान कश्मीर घाटी में हमलों की निंदा करता है.”
रेडियो पाकिस्तान ने जानकारी दी कि पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, जो इस समय जर्मनी की यात्रा पर हैं, ने भी भारत से पाकिस्तान के खिलाफ “निराधार आरोप” लगाने से परहेज करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा, “पहले दिन से ही हम भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों के इच्छुक हैं.”
इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया और इस्लामाबाद को राजनयिक रूप से अलग करने के लिए कदम उठाने का फैसला किया. भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सोहेल महमूद को भारतीय विदेश मंत्रालय ने तलब किया और हमले के सिलसिले में एक “मजबूत विरोध” जताया.
इसके अलावा पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को नई दिल्ली द्वारा चर्चा के लिए वापस बुलाया गया है.