बजट में नौकरीपेशा, किसानों और मजदूरों को बड़ी राहत देने के बाद मोदी सरकार ने सरकारी नौकरी वालों को भी राहत देने का ऐलान किया है. केंद्र सरकार ने 26 साल पुराने उस नियम में बदलाव कर दिया है, जिसके तहत ग्रुप ए और बी में आने वाले सरकारी कर्मचारी शेयर बाजार, डिबेंचर या म्युचल फंड में 50 हजार रुपये तक का निवेश कर सकते थे. इससे ज्यादा के निवेश पर ग्रुप ए और बी के कर्मचारियों को केंद्र सरकार को इस बारे में जानकारी देनी होती है. लेकिन अब नए नियम के तहत अब ऐसे कर्मचारी अपनी छह महीने की बेसिक पे शेयर बाजार या म्युचल फंड आदि में निवेश कर सकते हैं.
ग्रुप सी और डी के लिए 25 हजार की लिमिट
आसान शब्दों में कहे तो नए नियम के तहत अब ग्रुप ए और बी के कर्मचारी 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच (वित्तीय वर्ष) अपनी छह महीने के मूल वेतन का निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों के लिए यह सीमा 25 हजार रुपये है. यह बदलाव इसलिए किया गया है क्योंकि अलग-अलग वेतन आयोग के तहत हर स्तर के सरकारी कर्मचारी की सैलरी पहले के मुकाबले बढ़ गई है. हालांकि निवेश की सीमा बढ़ने के बावजूद भी अधिकारियों को शेयर बाजार में निवेश की गई रकम की जानकारी देनी होगी.
सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दी सूचना
इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि अगर यदि कोई अधिकारी अपनी दो माह से ज्यादा की बेसिक सैलरी शेयर बाजार में इनवेस्ट करता है 4तो उसे इस बारे में संबंधित विभाग को जानकारी देनी होगी. यह सभी जानकारी उस कर्मचारी या अधिकारी को संबंधित वित्तीय वर्ष में 31 जनवरी तक सब्मिट करनी होगी.
आपको बता दें केंद्र सरकार के निचले स्तर के अधिकारी अपना मूल वेतन 18 हजार रुपए से ज्यादा करने की मांग कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो सरकार लेवल 5 तक के अधिकारियों का फिटमेंट फैक्टर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बढ़ा सकती है. इसका ऐलान चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले संभव है.