अब हम एक ऐसी ख़बर का विश्लेषण करेंगे.. जिसे देखकर आपको शीतलहर महसूस होने लगेगी.
अमेरिका में इस वक्त 9 करोड़ से भी ज़्यादा लोग शून्य से लेकर माइनस 40 डिग्री तक के तापमान में रहने पर मजबूर हैं. और आने वाले कुछ दिनों में अमेरिका के कुछ इलाक़े अंटार्कटिका से भी ठंडे हो सकते हैं. आज हम आपको शिकागो से लेकर जम्मू-कश्मीर तक अपना असर दिखाने वाली इस शीतलहर के बारे में बताएंगे.
शीत लहर एक ऐसा शब्द है, जो आपने बार-बार सुना होगा. इसका इस्तेमाल बढ़ती हुई ठंड के संदर्भ में किया जाता है. लेकिन इसका असली अर्थ शायद आपको पता नहीं होगा. इस शब्द की उत्पत्ति पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव से हुई है. क्योंकि वहां से आने वाली हवाएं.. किसी भी चीज़ को ठंड से जमा देती हैं. ऐसी ही हवाओं ने अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों को जमा दिया है.
अमेरिका में इस वक्त पिछले कई दशकों की सबसे भीषण ठंड पड़ रही है. इसकी वजह से वहां के 9 करोड़ से भी ज़्यादा लोग शून्य से लेकर माइनस 40 डिग्री तक के तापमान में रहने पर मजबूर हैं. स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और सरकारी दफ़्तर बंद हैं. सैकड़ों की संख्या में Flights रद्द कर दी गई हैं. शिकागो शहर में पारा शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है. और ऐसा पिछले 34 वर्षों में पहली बार हुआ है.
इससे पहले 20 जनवरी 1985 को शिकागो का तापमान माइनस 27 डिग्री सेल्सियस हो गया था. लेकिन इस बार ये सारे रिकॉर्ड टूट गये हैं. इस बार शीत लहर की वजह से शिकागो का तापमान माइनस 55 डिग्री सेल्सियस तक भी जा सकता है. लोगों से अपील की जा रही है, कि वो घर से बाहर ग़लती से भी ना निकलें. इसके अलावा अमेरिका के कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां आपातकाल घोषित कर दिया गया है. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वालों ने तो ये तक कह दिया है, कि अमेरिका के सबसे व्यस्त शहरों में से एक शिकागो का मौसम, आने वाले दिनों में अंटार्कटिका से भी ज़्यादा ठंडा हो सकता है. स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए आपको सबसे पहले कुछ तस्वीरें देखनी चाहिए.
पहली तस्वीर शिकागो के रहने वाले एक युवक की है. जिसने अपना T-shirt साफ करने के बाद उसे Balcony में डाल दिया था. लेकिन थोड़ी देर के बाद जब उसने अपना T-shirt हाथ में लिया, तो वो किसी लकड़ी की तरह सख़्त हो चुका था.
ठीक इसी तरह एक व्यक्ति जब सोकर उठा, तो उसे पता चला, कि घर के भीतर होने के बावजूद दरवाज़े का Knob पूरी तरह जम चुका था.
शिकागो के रहने वाले एक अन्य व्यक्ति ने गर्म पानी से नहाने के बाद की तस्वीर.. सोशल मीडिया पर Post की. जिसमें गर्म पानी से निकली भाप, बर्फ बनकर Bathroom के दरवाज़ों पर जम चुकी थी.
अमेरिका के Ohio राज्य की एक महिला ने गर्म Coffee को जैसे ही हवा में उछाला, कॉफी भी बर्फ में तब्दील हो गई.
लेकिन अमेरिका में जारी ठंड वाले प्रकोप की सबसे हैरान करने देने वाली तस्वीरें, वहां के रेलवे Tracks पर दिखाई दे रही हैं.
आपने सुना होगा, कि भारत सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में किसी Train में या पटरी के आस-पास ज्वलनशील पदार्थ ना रखने की हिदायत दी जाती है. लेकिन शिकागो के Metra Commuter Rail System ने अपनी रेल सेवा जारी रखने के लिए अब आग का सहारा लिया है. ठंड की वजह से पटरियां इस तरह जम चुकी हैं, कि उनके टूटने का खतरा है. इसलिए वहां पर रेल की पटरियों में आग लगा दी गयी है. ताकि पटरी के आस-पास मौजूद जमी हुई बर्फ को आग लगाकर पिघलाया जा सके.
इसके लिए केरोसिन में भीगी हुई एक रस्सी को रेलवे ट्रैक के साथ-साथ बिछा दिया जाता है. और इसके बाद इसमें आग लगा दी जाती है. पटरियों पर बिछी रस्सियों में आग लगने और उससे पैदा होने वाली गर्मी से पटरियां सामान्य हो जाती हैं.
यहां पर किसी के भी मन में ये सवाल आएगा, कि अमेरिका में अचानक इतनी भीषण ठंड क्यों पड़ने लगी ? इसके पीछे की एक बड़ी वजह है, Polar Vortex.
आपको ये सुनने में बहुत तकनीकी शब्द लग रहा होगा, लेकिन हम आपको सरल भाषा में इसका मतलब समझाएंगे.
Polar Vortex का मतलब होता है ध्रुवीय चक्रवात. जिससे हवाओं में उतार-चढ़ाव होता है. Polar Vortex हवाओं के बहाव से बनने वाला एक क्षेत्र होता है. ये पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर पाया जाता है. इस क्षेत्र में हवा का बहाव इस तरह होता है, जिससे ठंडी हवा ध्रुवों के दायरे में ही सीमित रहती है. लेकिन कई बार सर्दियों के मौसम में Polar Vortex वाला क्षेत्र कमज़ोर हो जाता है. और वहां बहने वाली हवाएं एक तरह से Leak होकर, उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के साथ-साथ पृथ्वी के दूसरे हिस्सों में भी बहने लगती हैं. और जब भी ऐसा होता है, तो अचानक ठंड बढ़ जाती है.
इस वक्त अमेरिका और भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में ऐसा ही हो रहा है. भारत के कई हिस्सों में इस बार ज़बरदस्त सर्दी पड़ रही है. भारी बर्फ़बारी हो रही है और इसका संबंध भी आर्कटिक की बर्फीली हवाओं से है. इसे ही शीतलहर कहते हैं.
इस बीच सबसे ज़्यादा दुर्दशा अमेरिका की हुई है. आज हमारे पास अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी ढेर सारी तस्वीरें आई हैं, जिन्हें देखकर आपको ऐसा लगेगा, कि आप Hollywood की कोई फिल्म देख रहे हैं. लेकिन, सच्चाई ये है, कि ये प्रकृति में हो रहे बदलाव का एक ऐसा कड़वा सच है, जिससे दुनिया का कोई भी कोना सुरक्षित नहीं बचा है.
मौसम में हो रहे इस बदलाव के पीछे.. Global Warming एक बहुत बड़ी वजह है. हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने इस गंभीर शब्द का मज़ाक बनाकर रख दिया है.
28 जनवरी को Trump ने एक Tweet किया था… जिसमें उन्होंने लिखा था
In The Beautiful Midwest, Windchill Temperatures Are Reaching Minus 60 Degrees, The Coldest Ever Recorded. In Coming Days, Expected To Get Even Colder. People Can’t Last Outside Even For Minutes. What The Hell Is Going On With Global Warming? Please Come Back Fast, We Need You!
यानी ट्रंप कह रहे हैं कि ठंड से राहत प्राप्त करने के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग होनी चाहिए.
Donald Trump के इस Tweet से आप Global Warming के प्रति उनकी गंभीरता को समझ सकते हैं. वो भी तब जब NASA ने कुछ दिन पहले ही एक Study की थी. जिसमें कहा गया था, कि Climate Change यानी जलवायु परिवर्तन की वजह से महासागरों का तापमान बढ़ेगा. और इसकी वजह से आने वाले वर्षों में भयंकर बारिश और तूफान आने की दर बढ़ सकती है. लेकिन जिस देश के राष्ट्रपति को Global Warming, Climate Change और मौसम के बीच का फर्क नहीं पता. उससे क्या उम्मीद की जाए. डॉनल्ड ट्रंप ग्लोबल व़र्मिंग और मौसम के बीच Confuse हो गये हैं. उन्हें शायद ये नहीं पता कि ग्लोबल वॉर्मिंग लंबे समय में होने वाले जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. अमेरिका सहित दुनिया भर में पड़ने वाली ठंड का मतलब ये नहीं है कि ग्लोबल वॉर्मिंग खत्म हो गई है. बल्कि ये भी ग्लोबल वॉर्मिंग का ही एक असर है.