आम चुनाव से पहले केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेगी. माना जा रहा है कि इस बजट में किसानों और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुये कुछ घोषणायें की जा सकती हैं. जानकार सूत्रों के अनुसार इसमें आयकर छूट सीमा बढ़ाने, गरीबों के लिये न्यूनतम आय योजना और किसानों के लिये सहायता पैकेज सहित कई तरह की लोक लुभावन घोषणायें की जा सकती हैं. हालांकि, आगामी बजट सत्र के दौरान मात्र चार माह के लेखानुदान को ही मंजूरी दी जायेगी. चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली नई सरकार ही पूर्ण बजट पेश करेगी.
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह अंतिम बजट होगा. वित्त मंत्रालय का कामकाज देख रहे अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल यह बजट पेश करेंगे. अरुण जेटली के इलाज के लिए अमेरिका जाने के बाद पिछले सप्ताह ही रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया. इससे पहले वित्त मंत्री रहते हुए जेटली ने पांच बजट पेश किए हैं.
बजट को लेकर इससे पहले उस समय भ्रम की स्थिति बन गई थी जब वाणिज्य मंत्रालय ने मीडिया को भेजे एक व्हॉट्सएप संदेश में, “2019-20 के बजट को अंतरिम बजट न बताकर इसे 2019-20 के आम बजट के तौर पर बताया.’’ हालांकि, वित्त मंत्रालय ने बाद में स्पष्ट करते हुये कहा कि यह अंतरिम बजट ही होगा.
राजनीतिक गलियारों में भी इसको लेकर भ्रम की स्थिति बन गई कि सरकार आम चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करने की परंपरा से हटकर पूर्ण बजट पेश कर सकती है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुये कहा कि वह भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा “पूर्ण बजट” पेश करने का संसद के अंदर और बाहर दोनों स्तर पर विरोध करेगी क्योंकि यह कदम संसदीय परंपरा के खिलाफ होगा.
बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 13 फरवरी तक चलने की उम्मीद है. अप्रैल, मई में आम चुनाव होने हैं. मई अंत तक नई सरकार का गठन हो सकता है.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रखा है. माना जा रहा है कि अप्रत्यक्ष कर वसूली उम्मीद के अनुरूप नहीं होने और विनिवेश लक्ष्य पूरा नहीं होने के चलते घाटा लक्ष्य से ज्यादा रह सकता है.