ब्रुसेल्स की राजधानी बेल्जियम में हजारों की तादाद में लोग घरों से निकले, इनका मकसद सरकार या सरकारी नीति का विरोध करना नहीं था। सड़कों पर जुटे इन प्रदर्शनकारियों ने देश ही नहीं पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के प्रति अलख जगाई।
यूरापीय संघ (ईयू) और बेल्जियम सरकार ने जलवायु पविर्तन से लड़ने के लिए एक नई पहल की है। इस क्रम में दोनों के संयुक्त प्रयास से ब्रुसेल्स में दूसरे ‘राइज़ फॉर क्लाइमेट’ मार्च में कम से कम 70,000 लोगों ने हिस्सा लिया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार बेल्जियम में अब तक का सबसे बड़ा जलवायु मार्च निकाला गया। सड़क पर निकले लोगों में उत्साह दिखा। यह बेल्जियम में आयोजित अब तक का सबसे बड़ा जलवायु मार्च था।
ब्रुसेल्स में दूसरे ‘राइज़ फॉर क्लाइमेट’ मार्च में कम से कम 70,000 लोगों ने भाग लिया। यह मार्च दोपहर 1.30 बजे शुरू हुआ। गारे दू नॉर्ड से और भीड़ दोपहर तीन बजे के बाद पहुंची। इस मौके पर यूरोपीय संसद के मुख्यालय लक्समबर्ग में भाषणों और संगीत कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन किया गया।
आयोजकों ने प्रदर्शनकारियों को बताया कि मानवता को पृथ्वी पर अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि हमें अपने राजनेताओं को जवाबदेह बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई लंबी और कठिन लग रही है, लेकिन हम इसे छोड़ेंगे नहीं। यहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में बैनर और तख्तियां थी। उसमें भांति-भांति का स्लोगन लिखा हुआ था। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने ‘नो मोर कंपनी कार्स’, ‘एक्ट नाउ’, ‘नो टाइम टू वेस्ट’ जैसे नारों के साथ बैनर और तख्तियां लहराईं।