पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मंगलवार को स्वीकार किया कि 2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए एक मुश्किल संघर्ष होगा, खासकर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के कारण लड़ाई कड़ी होगी. बीजेपी सांसद ने कहा, “यह स्वीकार करने में कोई हानि नहीं है कि सपा और बसपा के महागठबंधन के बाद लड़ाई मुश्किल होगी.”
2013 मुजफ्फरनगर दंगे को उकसाने के आरोपी नेताओं में से एक बालियान ने कहा कि जब कुछ राजनीतिक दल एकजुट होते हैं तो एक सहज प्रतिक्रिया होती है. उन्होंने कहा, “प्रत्येक क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया होती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि समाज का एक बड़ा वर्ग हमें वोट नहीं करता है. चाहे वह धार्मिक आधार पर हो या किसी अन्य आधार पर.”
2014 में लोकसभा चुनाव से कुछ माह पहले 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे में करीब 62 लोगों की मौत हुई थी और 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे. कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 71 सीटें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के कारण जीती थीं जिसकी शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई थी. 2014 में बालियान ने बसपा के कादिर राणा को चार लाख वोटों से हराया था. राणा ने 2009 में इस सीट पर कब्जा जमाया था. 1991 से 1999 त्क इस सीट पर बीजेपी का कब्जा था.
बालियान को 2014 में मोदी सरकार में कृषि व खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री बनाया गया था. 2016 में उन्हें जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय में भेज दिया गया और मंत्रिमंडल के अगले फेरबदल में उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया.
बालियान ने कहा कि जब 2014 में बीजेपी जीती थी, लोगों की आकांक्षाए काफी ज्यादा थीं और लोगों को अभी भी लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी कुछ किया है. उन्होंने कहा, “मोदीजी के बारे में सकारात्मकता अभी भी लोगों में है. इसमें कमी नहीं हुई है. हम सरकार के उपलब्धियों पर चुनाव लड़ेंगे.”