भारत में पिछले साल अरबपतियों की संपत्ति में रोजाना 2,200 करोड़ रुपये यानी 35 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई, जबकि देश के करीब 10 फीसदी अत्यंत गरीब तबके के लोग 2004 से लगातार कर्ज में डूबे हुए हैं. इस बात का खुलासा सोमवार को जारी ऑक्सफैम की रिपोर्ट से हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, भारत के नौ सबसे बड़े अरबपतियों के पास उतनी संपत्ति है जितनी देश की आधी आबादी के पास है. दावोस में होने जा रहे विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन से पूर्व ‘पब्लिक गुड ऑर प्राइवेट वेल्थ’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में 2018 में अरबपतियों की संपत्ति में रोजाना 2.5 अरब डॉलर यानी 12 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि गरीबों की दशा और दयनीय बन गई.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल करीब आधी आबादी, मतलब 3.8 अरब गरीबों की संपत्ति में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. ऑक्सफैम के इंटरनेशनल कार्यकारी निदेशक विनी बायनयीमा ने भारत के हालात को ‘नैतिक रूप से अपमानजनक’ बताते हुए कहा, “यह नैतिक रूप से अपमानजनक है कि मुट्ठीभर अमीरों के पास भारत का धन जमा होता जा रहा है और गरीबों को खाने के लाले पड़े हैं और उनको अपने बच्चों की दवाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है.”
उन्होंने कहा, “शीर्ष (अमीरों की) एक फीसदी आबादी और भारत की शेष आबादी के बीच अगर यह बेहिसाब असमानता बढ़ती रही तो इस देश की सामाजिक और लोकतांत्रिक संरचना पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी.” ऑक्सफैम के अनुसार, भारत के 10 फीसदी धनकुबेरों के पास राष्ट्र की कुल संपत्ति का 77.4 फीसदी है. वैश्विक अधिकार संगठन ने कहा, “विडंबना है कि देश की 51.53 फीसदी संपत्ति महज एक फीसदी अमीरों के पास है. गरीबों की 60 फीसदी आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 4.8 फीसदी है. नौ सबसे बड़े अरबपतियों के पास उतनी संपत्ति है जितनी देश की आधी आबादी के पास है.”
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल देश में 18 नए अरबपतियों को मिलाकर कुल 119 अरबपति हो गए हैं जिनकी संपत्ति पहली बार 400 अरब डॉलर से अधिक हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्वास्थ्य व जन-स्वास्थ्य, स्वच्छता और जलापूर्ति पर केंद्र और राज्य सरकारों का कुल राजस्व व पूंजीगत खर्च 2,08,166 करोड़ रुपये है जोकि देश के सबसे अमीर अरबपति मुकेश अंबानी की संपत्ति 2,80,700 करोड़ रुपये से कम है.