लखनऊ : प्रयागराज में चल रहे कुंभ महोत्सव के वैज्ञानिक पहलुओं पर डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्रवाविधक विश्वविद्यालय एकेटीयू से संबद्घ एसएमएस इंजीनियरिंग कॉलेज शिक्षक और छात्र शोध करेंगे। इसके लिए एक टीम भी गठित की गयी है। शोध करने वाली टीम का मुख्य उद्देश्य है कि करोड़ों लोगों के एक अनोखे-समागम, जो आस्था, विश्वास, भक्ति व आध्यात्म के कारणों से होता है, के वैज्ञानिक पक्ष की अधिक से अधिक जानकारियों को हासिल किया जाये।
इस बारे में जानकारी देते हुए पर्यावरणविद, वैदिक विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष व एसएमएस कॉलेज के महानिदेशक-प्रो. भरत राज सिंह ने बताया कि लोगों की इस आस्था, विश्वास, भक्ति व आध्यात्म के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण अवश्य छिपा है, जिसमें ब्रह्ममांड के पिंडो की गति व उनके आकर्षण के प्रभाव तथा सूर्य के उत्तरायण होने के संक्रमण के कारण अवश्य ही धरती के चिंतक प्राणियों अर्थात मनुष्यों में कोई न कोई सोच में खिचाव होता है, जिससे उनमें आस्था व विश्वास जगता है और वे यहां इतनी बड़ी संख्या में ‘त्रिवेणी संगम’ पर स्नान के लिये एकत्रित होते है। उनका यह मानना है कि जब पृथ्वी पर उपलब्ध समुद्री सतह के नजदीक चंद्रमा दिन-रात के 24 घंटे में एक बार गुजरती है, तो ज्वार-भाटा आता है तथा पृथ्वी से जब राकेट चंद्रमा या अन्य ग्रहों पर भेजे जाते है, तो पृथ्वी की कक्षा से उस ग्रह के कक्षा में प्रवेश के समय बूस्टर का उपयोग करते है, जिससे वह संक्रमण की स्थिति से बाहर निकल सके। प्रश्न उठता है कि क्या कोई स्थिति तो सूर्य के उत्तरायण के मकरसंक्रमण से उत्पन्न होती है, जिससे सम-वैचारिक लोगों का समागम त्रिवेणी स्थल पर होने के लिये उन्हें प्रेरित करता हो और वे वहाँ पहुंच कर इस अलौकिक समागम के भागीदार बनते है और स्नान आदि के साथ प्रवचनों आदि का लाभ प्राप्त करते हो?
इस बारे में संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, शरद सिंह का कहना है कि उनके संस्थान में वर्ष 2010 से शोध कार्य पर विशेष बल दिया जा रहा है और आज संस्थान‘डॉ0 अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय’ के ‘नवाचार, नव-पर्यवर्त्तन तथा स्टार्टअप’ में ‘प्रथम-स्थान’ पर है। हम अपेक्षा करते है कि उपरोक्त शोध कार्य हेतु कुलपति, प्रो0 विनय पाठक तथा मंत्री,(तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा) आशुतोष टण्डन इस अभूत-पूर्व शोध कार्य पर अपनी सहमति देकर, अन्य कालेजों को भी जुड़ने का निर्देश देगें, जिससे यह विश्वविद्यालय किसी तथ्यात्मक वैज्ञानिक-कारणों की जानकारी हासिल कर विश्व में यह एक नवीन दिशा दे सकें तथा आस्था के इस महान कुम्भ पर्व का वैज्ञानिक पहलू को प्रकाशित कर कीर्तिमान स्थापित कर सके।