शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों का रूस में संयुक्त सैन्य अभ्यास होने जा रहा है। इसमें भारत और पाकिस्तान की सेनाएं पहली बार एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगी। चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दोनों पड़ोसी देशों को तनाव दूर करने में मदद मिलेगी। इससे सकारात्मक बातचीत को भी बढ़ावा मिलेगा।
चाइना डेली अखबार के अनुसार, एससीओ सदस्य देशों के संयुक्त सैन्य अभ्यास को “पीस मिशन 2018” नाम दिया गया है। इसका मकसद आतंकी खतरों के खिलाफ परस्पर विश्वास, सहयोग और समन्वय के अलावा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने का है। यह सैन्य अभ्यास शेडोंग प्रांत के किंगदाओ शहर में नौ और दस जून को होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद होगा।
इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई देशों के नेता शिरकत करेंगे। पिछला एससीओ सैन्य अभ्यास सितंबर 2016 में किर्गिस्तान में हुआ था। इस साल के सैन्य अभ्यास में भारत और पाकिस्तान पहली बार हिस्सा लेंगे। दोनों देश पिछले साल एससीओ के सदस्य बने थे। बीजिंग नार्मल यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर ली जिंग ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कई मसलों पर विवाद है लेकिन एससीओ सैन्य अभ्यास से दोनों देशों की सेनाओं के बीच सकारात्मक बातचीत का अवसर मिल सकता है। इससे दोनों देशों को तनाव दूर करने में मदद भी मिल सकती है। चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्प्रेरी इंटरनेशनल रिलेशन्स के शोधकर्ता ली ली ने कहा कि सदस्य देशों के लिए परस्पर विश्वास बहाली की दिशा में एससीओ एक प्रभावशाली मंच है।