पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व पतंजलि योगपीठ के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण द्वारा यमुना एक्सप्रेस वे (नोएडा) पर प्रस्तावित पतंजलि फूडपार्क को यूपी के बाहर ले जाने के एलान से सरकार में हड़कंप मच गया। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामदेव से बात कर मामले को आगे बढ़ने से रोकते हुए अधिकारियों को कैबिनेट की अगली बैठक में ही इससे जुड़े प्रस्ताव को पेश करने का निर्देश दिया।
प्रदेश सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को यमुना एक्सप्रेस वे पर 465 एकड़ जमीन फूड और हर्बल पार्क की स्थापना के लिए दी थी। पतंजलि की ओर से यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी को इस जमीन में से 50 एकड़ जमीन केंद्र की योजना के अनुसार फूड पार्क के लिए ट्रांसफर करने का आग्रह किया था। चूंकि कंपनी को जमीन का आवंटन कैबिनेट से हुआ था, इसलिए उससे किसी हिस्से का अलग हस्तांतरण भी कैबिनेट से ही हो सकता है।
इस बीच मंगलवार को बालकृष्ण ने यह कहकर हड़कंप मचा दिया कि प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण केंद्र सरकार ने मेगा प्रोजेक्ट रद कर दिया गया है। यह भी कहा कि पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अलग ले जाने का फैसला कर लिया है।
सूत्रों ने बताया कि बालकृष्ण के एलान को सीएम ने बेहद गंभीरता से लिया और तत्काल बाबा रामदेव से बात की। उन्होंने अगली कैबिनेट बैठक में ही भूमि हस्तांतरण से जुड़ी अनुमति की कार्यवाही कराए जाने की जानकारी दी। इधर शासन के अधिकारियों ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रस्ताव पर 50 एकड़ जमीन हस्तांतरण की अनुमति कैबिनेट से लेने की कार्यवाही शुरू कर दी है।
150 करोड़ की सब्सिडी का मामला
मीन आवंटन के बाद पतंजली ने केंद्र सरकार के अंतर्गत भी एक मेगा फूड पार्क की स्थापना का आवेदन किया था। कंपनी को केंद्र से 150 करोड़ की सब्सिडी मिल सकती है जिसके लिए केंद्र सरकार की टीम ने 50 एकड़ जमीन पर अलग फूडपार्क बनाने की शर्त बताई। हालांकि प्रदेश सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र से फूड पार्क का आवंटन निरस्त नहीं हुआ है।
मामले पर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पांडेय का कहना है, ‘पतंजलि के मेगा फूड पार्क का आवंटन निरस्त नहीं हुआ है। प्रदेश सरकार जमीन हस्तांतरण से जुड़ा निर्णय कैबिनेट की अगली बैठक में कर लेगी। पतजंलि से जुड़े मामले में समस्या का समाधान हो गया है। ’