राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अगड़ी जातियों के गरीबों को नौकरियों व शिक्षा में 10 फीसद आरक्षण देने के केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ है। मंगलवार को लोकसभा में आरक्षण का यह प्रस्ताव भारी बहुमत से पास हो गया, लेकिन राजद ने इसका विरोध किया। राजद इस मुद्दे पर महागठबंधन में कांग्रेस व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) से अलग स्टैंड पर दिख रहा है।
विदित हो कि लोकसभा में राजद सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने जातीय जनगणना के आधार पर आरक्षण देने की मांग की। इसके पहले पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था। दूसरी ओर महागठबंधन के ही घटक दल कांग्रेस ने लोकसभा में बिल का विरोध नहीं किया।
जयप्रकाश नारायण यादव ने लोकसभा में कही ये बात
बिहार के बांका से राजद सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने लोकसभा में कहा कि सवर्ण आरक्षण बिल के वर्तमान स्वरूप का वे विरोध करते हैं। उन्होंने जातीय जनगणना के आधार पर आरक्षण देने की मांग की। जातीय जनगणना के आंकड़ों में जिसकी जितनी हिस्सेदारी होगी, आरक्षण में उसकी उतनी भागीदारी होनी चाहिए। सांसद ने अनुसूचित-जाति-जनजाति व पिछड़ों के लिए 85 फीसद आरक्षण की मांग रखी।
तेजस्वी बोले: बढ़ना है तो 85 फीसद वाली पिछड़ी जातियों का बढ़े आरक्षण
इसके पहले पटना में सवर्णों को आरक्षण के मामले पर बोलते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि आरक्षण्ा तो 85 फीसद वाले पिछड़ी जातियों का बढ़ना चाहिए। वर्तमान में 15 फीसद लोग 50 फीसद लाभ ले रहे हैं।
तेजस्वी ने सवाल किया कि केंद्र सरकार आखिर जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? इससे पता चल जाएगा कि कौन सी जाति कितनी गरीब है। तेजस्वी ने तंज कसा कि पीएम मोदी सरकार अगर गरीबों की आर्थिक स्थिति ठीक करना चाहती है तो सबों के खाते में 15-15 लाख डाले। साथ ही युवाओं को दो करोड़ रोजगार दे।
महागठबंधन में अकेला पड़ा राजद
विदित हो कि सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी महागठबंधन में राजद अकेला पड़ता दिख रहा है। महागठबंधन के प्रमुख घटक कांग्रेस ने लोकसभा में बिल का विरोध नहीं किया। महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) सुप्रीमो जीतन राम मांझी सवर्ण गरीबों के लिए आरक्षण की मांग पहले करते रहे हैं। मांझी ने तो इसे 10 फीसद से बड़ाकर 15 फीसद करने की मांग की है।
सवर्ण जातियों को पाले में करने की कोशिश
एसएसटी एक्ट पर मोदी सरकार के फैसले के बाद सवर्ण जातियों में नाराजगी और हाल के विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में मिली हार के मद्देनजर केंद्र के इस फैसले को अगड़ों को अपने पाले में करने की कोशिश माना जा रहा है। मंगलवार को केंद्र सरकार इसके लिए संसद में संविधान संशोधन बिल पेश किया, जो पास हो गया। केंद्र सरकार इसे बुधवार को राज्यसभा में पेश कर रही है।
बिहार में सियासी असर पड़ना तय
केंद्र सरकार के इस फैसले का बिहार में असर पड़ना तय है। इसे भाजपा का सवर्ण तबके को जोड़ने का प्रयास माना जा रहा है। इस कारण लोकसभा चुनाव में राजग के साथ सवर्ण जातियों की गोलबंदी हो सकती है।