यूपी में करोड़ों के अनाज गुणवत्ता घोटाले में दोषी पाए गए 10 अधिकारी

 उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम (FCI) की ओर से वर्ष 2018 में खरीदे गए गेहूं और चावल में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी को लेकर हुई प्रारंभिक जांच में महकमे के मैनेजर व उसके निचले स्तर के प्रदेशभर के 10 अधिकारी दोषी पाए गए हैं। ऐसे में सभी को चार्जशीट सौंप दी गई है। उधर, इतनी बड़ी संख्या में अनाज खरीद में शामिल अधिकारियों को नोटिस मिलने से हड़कंप मच गया है। नोएडा में एफसीआइ की कार्यकारी निदेशक वीना कुमारी ने इसकी पुष्टि की है। बता दें कि वीना कुमारी के पास उत्तर प्रदेश समेत 8 राज्यों का प्रभार है। उनके मुताबिक, खराब अनाज को वापस भी किया जा रहा। यहां पर बता दें कि दैनिक जागरण ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था, इसके बाद पूरे मामले की तत्परता से जांच की गई।

500 में 100 नमूने जांच में फेल

गौरतलब है कि पिछले दिनों मामला सामने आया था कि FCI की तरफ से गीले, टूटे व बेहद खराब अनाज की खरीदारी की गई। यह गड़बड़ी केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय की जांच में उजागर हुई थी। जांच की कड़ी में मंत्रालय की क्वालिटी कंट्रोल टीम ने खाद्य निगम के सात केंद्र से करीब 500 नमूने लिए थे, जांच में 101 नमूने फेल हो गए। इन नमूनों को गोदाम में जिस लॉट से एकत्र किया गया, वहां करीब 1 लाख 63 हजार 620 क्विंटल अनाज है। इसकी कीमत लगभग 33 करोड़ रुपये है। जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय की तरफ से जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।

इस पर भारतीय खाद्य निगम के दिल्ली मुख्यालय ने उत्तर प्रदेश का मामला होने के कारण नोएडा सेक्टर-24 स्थित भारतीय खाद्य निगम (उत्तर अंचल) के कार्यकारी निदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा था।

अप्रैल से अगस्त 2018 के बीच लिए गए थे नमूने

भारतीय खाद्य निगम के सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, फैजाबाद, गोरखपुर और आजमगढ़ जिले में स्टॉक केंद्र हैं। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय की क्वालिटी कंट्रोल टीम ने अप्रैल से जुलाई 2018 के बीच खाद्यान स्टॉक से 500 नमूने लिए थे। लैब में हुई जांच के दौरान इसमें से 101 (करीब 20 फीसद) नमूने केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के मानकों पर खरे नहीं थे। जांच में अनाज में 13 फीसद से भी ज्यादा नमी पाई गई। कई नमूनों में 9 फीसद से भी ज्यादा अनाज टूटे पाए गए।

2018 में 78 लाख मीटिक टन खरीदे गए गेहूं और चावल

भारतीय खाद्य निगम ने 2018 में उत्तर प्रदेश में 50 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 28 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदा था। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने प्रदेश के 19 में से सिर्फ 7 स्टॉक केंद्र से ही नमूने लिए, जहां 20 फीसद अनाज खराब पाए गए।

वर्ष 2017-18 में गेहूं का समर्थन मूल्य 1625 रुपये जबकि धान का 1750 रुपये था। किसान से गेहूं या धान खरीद कर गोदाम तक लाने में माल भाड़ा व मजदूरी मिलाकर भारतीय खाद्य निगम को एक क्विंटल गेहूं या चावल पर करीब दो हजार रुपये की लागत आती है। धान से चावल बनवाने में खर्च और बढ़ जाता है।

गरीबों को रियायती दर पर बांटा जाता है अनाज

भारतीय खाद्य निगम की ओर से खरीदे गए गेहूं और चावल का वितरण गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों के बीच रियायत दर पर किया जाता है। साथ ही मिड डे मिल में भी इन अनाजों का इस्तेमाल किया जाता है।

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