मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक किए जाने के मसले पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना था कि ये मसला काफी समय से लंबित है. आधार योजना की वैधता पर फैसला आने के बाद इसे जल्द सुना जाना चाहिए. गौरतलब है कि चुनाव आयोग भी आधार और वोटर आईडी को लिंक करने के पक्ष में है. बता दें, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले कह चुके हैं कि वे इसके पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है कि दोनों आईडी का इस्तेमाल अलग-अलग सेवाओं के लिए होता है. ऐसे में इन्हें लिंक कराने की जरूरत नहीं है. रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरकार लोगों पर जासूसी के आरोपों का सामना करने के लिए तैयार नहीं है.
इस संबंध में उन्होंने अपनी राय रखते हुए कहा कि वोटर आईडी कार्ड को इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के पोर्टल से लिंक किया गया है. यहां से पोलिंग बूथ, एड्रेस जैसी जानकारियां हासिल की जा सकती हैं. जबकि, आधार इन सब जानकारियों के लिए नहीं है. हालांकि, उन्होंने बैंक खातों को आधार से लिंक किए जाने का बचाव किया. प्रसाद के मुताबिक, आधार को बैंक खातों से लिंक करने से पारदर्शिता आएगी. साथ ही कल्याणकारी योजनाओं के लाभों को डीबीटी के जरिए ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में भी सहायक होगा.
दूसरी तरफ चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर आई कार्ड को आधार से जोड़ना चाहिए. ऐसा करने से मतदाता का दोहरे तरीके से विश्वसनीय सत्यापन सुनिश्चित होगा, जिससे फर्जी मतदाता की समस्या नहीं होगी. चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर आई कार्ड में किसी तरह की खामी नहीं है, लेकिन मतदाता कई जगहों पर अलग-अलग मतदान कार्ड बना लेते हैं. हमारा मकसद इसे रोकना है.