नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले के मैगी नूडल्स के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत (एनसीडीआरसी) में चल रहे तीन साल पुराने मामले को चलाने की अनुमति दे दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर की रिपोर्ट पर ये आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेस्ले के खिलाफ केस चलाने का आधार यही रिपोर्ट होगी। केंद्र सरकार ने 2015 में मैगी की लेबेलिंग और भ्रामक विज्ञापन देने का आरोप लगाते हुए नेस्ले कंपनी के खिलाफ जुर्माना लगाने के लिए एनसीडीआरसी में केस दायर किया था। एनसीडीआरसी में चल रहे इस मामले के खिलाफ नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसम्बर 2015 को एनसीडीआरसी में सुनवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर को निर्देश दिया था कि वे मैगी पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपें।
नेस्ले का कहना था कि केंद्र सरकार जो आरोप लगा रही है, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट 13 अगस्त, 2015 को खारिज कर चुका है। सुनवाई के दौरान जब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नेस्ले के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमें मैगी क्यों खाना चाहिए जबकि इसमें सीसा है। तब सिंघवी ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक मैगी में तय मानक से अधिक सीसा नहीं था लेकिन दूसरे प्रोडक्ट में कुछ सीसा था। तब कोर्ट ने कहा कि अब एनसीडीआरसी सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर की रिपोर्ट पर विचार करें। एनसीडीआरसी में सुनवाई के दौरान सभी पक्ष अपनी बातें रख सकते हैं।