नई दिल्ली : तमिलनाडु सरकार ने तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर कंपनी को दोबारा चलाने के एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि एनजीटी का आदेश गलत है और उसे वेदांता की याचिका पर फैक्टरी को दोबारा खोलने का आदेश नहीं देना चाहिए। पिछले 15 दिसम्बर को एनजीटी ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया था कि वो तीन हफ्ते के अंदर स्टरलाइट कंपनी को चलाने के लिए सहमति यानी कंसेंट टू आपरेट दे और सारी बाधाएं दूर करे। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि वो पर्यावऱण संबंधी कानूनों का पालन करते हुए स्टरलाइट कंपनी को नुकसानदेह पदार्थों को नष्ट करने का अधिकार दे।
एनजीटी ने फैक्टरी के लिए बिजली आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया था। पिछले 28 नवम्बर को एनजीटी द्वारा मामले पर विचार करने के लिए गठित कमेटी ने एनजीटी को दी रिपोर्ट में तमिलनाडु सरकार के स्टरलाइट को सील करने के फैसले को गलत करार दिया था। मेघालय के पूर्व चीफ जस्टिस तरुण अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्टरलाइट यूनिट को बंद करने के लिए न तो नोटिस दिया गया था और न ही सीलिंग से पहले कंपनी को जवाब देने का मौका दिया गया। इस रिपोर्ट पर एनजीटी ने तमिलनाडु सरकार के फैसले को प्राकृतिक सिद्धांत के खिलाफ बताया था। सुनवाई के दौरान स्टरलाइट की ओर से वकील सीए सुंदरम ने कहा था कि हम पहले दिन से ही स्टरलाइट कॉपर प्लांट को खोलने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि बंद करने का फैसला गलत है। उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु सरकार का प्लांट को बंद करने का फैसला पूरे तरीके से राजनीतिक फैसला था। पिछले अगस्त महीने में एनजीटी ने जस्टिस तरुण अग्रवाल की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में वैज्ञानिक सतीश सी गारकोटी और एच डी वरालक्ष्मी शामिल थे। कमेटी ने तूतीकोरिन के लोगों से भी चर्चा की थी। एनजीटी को रिपोर्ट सौंपने के पहले कमेटी ने पिछले अक्टूबर महीने में कई दौर की सुनवाई की थी।