तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में आजीवन कारावास की सजा पाए वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार सोमवार को कोर्ट में सरेंडर करेंगे। समाचार एजेंसी के मुताबिक, उम्रकैद की सजा पाए सज्जन कुमार दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर करने के लिए घर से निकल चुके हैं। सरेंडर की पूरी प्रक्रिया के बाद उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल भेजा जाएगा।
वहीं, पूर्वी दिल्ली स्थित कड़कड़डूमा कोर्ट में सिख विरोधी दंगे के दोषी किशन खोखर और महेंद्र यादव ने सरेंडर कर दिया। इसके बाद जज अदिति गर्ग ने दोनों दोषियों को 10-10 साल के लिए तिहाड़ भेजने का आदेश दिया। वहीं, महेंद्र यादव की उम्र 68 वर्ष है। ऐसे में बुजुर्ग होने के कारण कोर्ट ने महेंद्र यादव को तिहाड़ में चश्मा व छड़ी ले जाने की इजाज़त दी है। कुछ देर बाद सज्जन कुमार भी सरेंडर करेंगे। इस बाबत कड़कड़डूमा कोर्ट के बाहर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है।
सज्जन कुमार समेत अन्य दोषियों के सरेंडर करने की खबर से यहां पर 1984 सिख दंगा पीड़ित भी पहुंचे हैं। वह यहां पर गुरबानी का पाठ भी कर रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के दंगों से जुड़े एक मामले में 17 दिसंबर को 73 वर्षीय पूर्व सांसद सज्जन कुमार को बाकी बची जिंदगी के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई थी और उन्हें 31 दिसंबर तक समर्पण करने का आदेश दिया था। दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके सरेंडर की समय सीमा 30 जनवरी तक बढ़ाने का उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद सज्जन को हर हाल में सोमवार को कोर्ट में सरेंडर करना है।
सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने के मुताबिक, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील पर सर्दी की छुट्टियों के दौरान सुनवाई संभव नहीं है। वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट एक जनवरी तक बंद है और दो जनवरी से वहां सामान्य कामकाज शुरू होगा। इसके बाद ही कोर्ट में सुनवाई होगी। ऐसे में सज्जन कुमार कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरेंडर करेंगे।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने 1984 के दंगों से जुड़े एक मामले में 17 दिसंबर को 73 वर्षीय पूर्व सांसद सज्जन कुमार को बाकी बची जिंदगी के लिए उम्र कैद और पांच अन्य दोषियों को अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई थी और उन्हें 31 दिसंबर तक समर्पण करने का आदेश दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सिख विरोधी दंगे में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने 22 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। यह अलग बात है कि सज्जन से पहले ही केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है।
सीबीआइ ने 20 दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट मे कैविएट दाखिल कर दी है, ताकि कोर्ट सज्जन कुमार को एकतरफा सुनवाई मे कोई राहत न दे दे। कोर्ट कोई भी आदेश देने से पहले सीबीआइ का भी पक्ष सुने।
क्या होती है कैविएट
कैविएट हाई कोर्ट से मुकदमा जीतने वाला पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करता है। इसका मतलब होता है कि अगर मुकदमा हारने वाला पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करे तो कोर्ट उसके हक में एकतरफा सुनवाई करके कोई फैसला न दे दे। कोर्ट मामले में कोई भी आदेश देने से पहले कैविएट दाखिल करने वाले पक्षकार का पक्ष भी सुने। कैविएट दाखिल होने से एकतरफा आदेश की आशंका नहीं रहती। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई आदेश पारित होता है।
1984 सिख विरोधी दंगा मामला
यहां पर बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले में गत 17 दिसंबर को कांग्रेस के पूर्व सांसद और दिल्ली के दिग्गज नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को जीवित रहने तक कैद में रहने की सजा दी है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को सजा भुगतने के लिए 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया है, हालांकि उन्होंने 30 जनवरी तक सरेंडर के लिए राहत मिली थी, लेकिन कोर्ट ने राहत देने से मना कर दिया। अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील का नियम यह है कि अभियुक्त को अपील के साथ ही जेल जाने के सबूत के तौर पर सरेंडर सर्टिफिकेट लगाना पड़ता है तभी रजिस्ट्री अपील स्वीकार करती है। अगर सरेंडर सर्टिफिकेट नहीं लगाया तो सरेंडर से छूट मांगने की अर्जी दाखिल की जाती है। ज्यादातर मामलों में अभियुक्त सरेंडर से छूट मांगने की अर्जी दाखिल करते हैं।