बैंकों का सकल फंसा कर्ज (ग्रॉस एनपीए) वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 11.2 फीसद या 10.39 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए 8.95 लाख करोड़ रुपये था, जो उनके कुल कर्ज का 14.6 फीसद था। कारोबारी साल 2016-17 में समस्त बैंकों का ग्रॉस एनपीए 9.3 फीसद था और सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए 11.7 फीसद था।
आरबीआइ ने ‘ट्रेंड्ज एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन 2017-18’ रिपोर्ट में कहा कि पुनर्गठित कर्जो के एनपीए बनने और एनपीए की बेहतर पहचान के कारण वित्त वर्ष 2017-18 में सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए अनुपात 14.6 फीसद पर पहुंच गया। नेट एनपीए के मामले में सरकारी बैंकों का नेट एनपीए अनुपात 2017-18 में आठ फीसद पर पहुंच गया, जो इससे एक साल पहले 6.9 फीसद था।
निजी बैंकों का ग्रॉस एनपीए अनुपात आलोच्य अवधि में 4.7 फीसद रहा, जो इससे एक साल पहले 4.1 फीसद था। इसी दौरान विदेशी बैकों की संपत्ति गुणवत्ता चार फीसद से सुधर कर 3.8 फीसद पर आ गई।