नई दिल्ली : कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रावधानों काे सख्त किए जाने का स्वागत किया है। सरकार के इस कदम के बाद अब फ्लिपकार्ट और अमेजॉन जैसी कंपनियों अपने उन उत्पादों को इस मंच के माध्यम से नहीं बेच पाएंगी, जिनमें उनकी हिस्सेदारी है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार के इस कदम से अब ई-कॉमर्स व्यापार में बराबरी की प्रतिस्पर्धा हो सकेगी एवं ई-कॉमर्स निष्पक्ष व्यापार के रूप में उभर सकता है। देश भर के व्यापारी अब ई-कॉमर्स के माध्यम से सरलता के साथ व्यापार कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि एफडीआई पालिसी में बुधवार को हुए संशोधन ई-कॉमर्स व्यापार में जो छिद्र थे, उनको बंद करेगा किन्तु यह बहुत जरूरी है कि इस नीति का कड़ाई से पालन किया जाए तभी इसका लाभ देश के व्यापारियों को मिल सकेगा और ई-कॉमर्स सही मायनों में देश में प्रगति करेगा।
उन्होंने इसके लिए सरकार से ई-कॉमर्स के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी गठित करने की मांग की जो देश में ई-कॉमर्स व्यापार की देख रेख करे। पिछले काफी समय से लंबित एक समग्र ई-कॉमर्स पालिसी की भी तुरंत घोषणा हो। रेगुलेटरी अथॉरिटी को अधिकार संपन्न बनाना आवश्यक है। खंडेलवाल ने कहा कि सरकार द्वारा संशोधित पॉलिसी के अनुसार अब किसी के साथ भी भेदभाव नहीं हो सकता और इस दुष्चक्र को ध्वस्त किया जाना जरूरी है। इस पालिसी को लेकर जो भ्रम था और जिसको लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों ने भारत के रिटेल बाजार को एक खुला मैदान समझ लिया था और अपने ही नियम तय करके व्यापार कर रही थीं, उस प्रवृत्ति पर अब रोक लगेगी और देश में स्वस्थ ई-कॉमर्स व्यापार का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।