नई दिल्ली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी ने लोकसभा में कहा कि ‘हम मुसलमान हैं और शरीयत के हिसाब से चलते रहेंगे।’ सदन में तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2018 पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए ओवैसी ने कहा कि सरकार मुसलमानों के साथ जोर-जबरदस्ती कर रही है और उन पर अपनी बात थोपना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि तीन तलाक के नाम पर मोदी सरकार देश के धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी ताने-बाने को तबाह करने पर आमादा है। उन्होंने आरोप लगाया कि तीन तलाक विधेयक के जरिए सरकार संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों और संविधान की प्रस्तावना का हनन कर रही है जिसमें अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और संरक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश में एक ओर समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाता है, वहीं तीन तलाक के मामले में मुस्लिम पुरुषों को अपराधी करार देने का प्रयास किया जा रहा है।
ओवैसी ने पश्चिम राजनैतिक चिंतकों- बेंथम और मांटेस्क्यू का हवाला देते हुए कहा कि संवैधानिक अधिकारों की अवहेलना से देश और समाज में तानाशाही और अन्यायी शासन स्थापित हो जाता है। ओवैसी का तर्क था कि देश में आदिवासी समुदाय के लोगों को हिन्दू विवाह कानून के प्रावधानों से अलग रखा गया है। मुसलमानों के सामाजिक जीवन में भी अपने तौर तरीके हैं। यह मजहबी आस्था और विश्वास का मामला है जिसमें सरकार की ओर से जोर जबरदस्ती नही होनी चाहिए।