बिजली बिल एवं निजीकरण का विरोध तथा पुरानी पेंशन बहाली के लिए होगा कार्य बहिष्कार

बिजली उत्पादन में घोटाले के बाद अब विद्युत वितरण में बड़े घोटाले की तैयारी : शैलेन्द्र दुबे

लखनऊ : नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स ( एनसीसी ओईईई) के निर्णय के अनुसार इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2018 एवं केंद्र व् राज्य स्तर पर चल रही निजीकरण की कार्यवाही के विरोध में तथा पुरानी पेंशन हेतु देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर आगामी 8 व 9 जनवरी को दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल व कार्य बहिष्कार करेंगे। हड़ताल का निर्णय देश भर की सभी ट्रेड यूनियनों की संयुक्त बैठक में लिया गया था और इसकी नोटिस भी केंद्र सरकार व् सभी राज्य सरकारों को भेज दी गयी है।

नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स ने यह भी एलान किया है कि यदि इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल 2018 को संसद के शीतकालीन सत्र में पहले पारित कराने की कोशिश हुई तो बिना और कोई नोटिस दिए देश भर के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर उसी समय लाइटनिंग हड़ताल पर चले जाएंगे। एनसीसीओईईई ने कहा है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का ढाई लाख करोड़ रु. पहले ही फंसा हुआ है फिर भी निजी घरानों पर कोई कठोर कार्यवाही करने के बजाय केंद्र सरकार नए बिल के जरिये बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप कर और बड़े घोटाले की तैयारी कर रही है।

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स की समन्वय समिति में ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस फेडरेशन ऑफ इण्डिया (सीटू), ऑल इन्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस (एटक ),इण्डियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (इन्टक ), ऑल इन्डिया पावरमेन्स फेडरेशन तथा राज्यों की अनेक बिजली कर्मचारी यूनियन सम्मिलित हैं।

शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेण्डमेंट ) बिल के जनविरोधी प्रतिगामी प्राविधानों का एनसी सीओईईई और ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन प्रारम्भ से ही विरोध करता रहा है और इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार को लिखित तौर पर कई बार दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि बिल पारित हो गया तो सब्सिडी और क्रास सब्सिडी तीन साल में समाप्त हो जाएगी जिसका सीधा अर्थ है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी जबकि उद्योगों व् व्यावसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी की जाएगी। उन्होंने कहा कि संशोधन के अनुसार हर उपभोक्ता को बिजली लागत का पूरा मूल्य देना होगा जिसके अनुसार बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी।

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