अटल और मालवीय के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने का समय : डॉ.सदानन्द प्रसाद गुप्त

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में मालवीय एवं अटल पर संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन दो सत्रों में डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उप्र हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में किया गया। दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा एवं मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्पांजलि के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना संगीतमयी प्रस्तुति डॉ. कामिनी त्रिपाठी द्वारा की गयी। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में ‘मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी का पत्रकार व्यक्त्वि‘ विषय पर वक्तव्य देते डॉ. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा – पत्रकारिता में राष्ट्रीय भावना को जागृत करना चाहिए। अटल व मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय पत्रकारिता व वैचारिक पत्रकारिता के जनक थे। अटल जी ने कहा था मैं अपने जन्म दिन पर बहुत खुश होता हूँ क्योंकि इसी दिन मदनमोहन मालवीय और प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था।

मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. ओम प्रकाश पाण्डेय ने अटल बिहारी वाजपेयी का पत्रकार व्यक्त्वि‘ विषय पर बोलते हुए कहा – अटल जी का व्यक्तित्व व्यापक था। वे साहित्य व मानवता के प्रेमी थे। वे सद्हृदयता की प्रतिमूर्ति थे। मृत्यु×जय कुमार ने कहा कि पत्रकारिता एक कठिन कार्य है। अटल जी के लिए पत्रकारिता एक मिशन थी। पत्रकारिता ने ही अटल जी को राजनीतिक क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित किया। वे वैचारिक पत्रकारिता के पक्षधर थे। समाचार पत्रों पर एक राष्ट्रीय दायित्व होता था। वे कहते थे मांग कर नहीं खरीद कर समाचार पत्र को पढ़ें। आज की पत्रकारिता को उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। सत्र के मुख्य अतिथि के.जी. सुरेश ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हमें अटल जी व मालवीय जी के बताये गये पत्रकारिता के मूल्यों को ग्रहण करना होगा। इन दोनों लोगों की पत्रकारिता एक मिशनरी के रूप में थी।

अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, हिन्दी संस्थान ने कहा कि अटल जी व मदन मोहन मालवीय जी ने अपने पूरे जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया। 19वीं शताब्दी में भारत में महान विभूतियों का दर्शन कर पाते हैं।  ‘मदन मोहन मालवीय का भाषा एवं शिक्षा विषयक योगदान तथा अटल बिहारी वाजपेयी का काव्य व्यक्त्वि‘ विषय पर संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में कोलकाता के डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि अटल जी व मदनमोहन मालवीय जी के बारे में बात करना अपनी वाणी को पवित्र करना है। महामना कवि गुरू थे अटल जी का कहना था कि कविता हमें विरासत मं मिली थी। कवि को समय, वातावरण की आवश्यकता होती है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com