सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में शहर के लोग आगे रहते हैं, पर वे हमेशा सरकार को इसका श्रेय नहीं देते। एक सर्वे के मुताबिक शहर में रहने वाले लोग चाहते हैं कि सरकार आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए। पर वे लोग हमेशा सरकार को इन कार्यों के लिए श्रेय नहीं देना चाहते। लोक फाउंडेशन और ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी की ओर से कई सालों में सर्वे किया गया जिसमें एक लाख घरों तक संवाद किया गया। इस सर्वे में तमाम सवालों के साथ 2016 में लोगों से सरकारी योजनाओं के बारे में उनकी प्रतिक्रिया ली गई।
इस सर्वे में 50 फीसदी शहरी लोगों ने माना कि वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजते हैं क्योंकि यह वहन करने लायक है। वहीं एक तिहाई लोग मानते हैं कि वहां बेहतर गुणवत्ता की पढ़ाई है। देश के कुछ अच्छे शासन वाले राज्य केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड, दिल्ली के लोग सरकारी स्कूलों को प्राथमिकता देते हैं। वहीं बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में धन की कमी के कारण लोग सरकारी स्कूलों का रुख करते हैं।
सेहत सेवाओं के बारे में भी कुछ ऐसा ही है बड़ी संख्या में शहरी लोग कहते हैं कि हम छोटी बड़ी बीमारियों में सरकारी अस्पताल का रुख करते हैं। इस मुद्दे पर भी लोगों का जवाब था कि सरकारी अस्पतालों में उपचार सस्ता है। जब लोगों से ये पूछा गया कि सरकार लोगों को उपचार के लिए एक निश्चित राशि दे जिससे आप अपनी पसंद के अस्पताल में जा सकें तो लोगों का कहना था कि इसके बजाय सरकारी अस्पतालों की दशा में सुधार किया जाना चाहिए।
दो तिहाई शहरी लोगों के पास राशन कार्ड
शहरी लोगों में हर चार में से तीन लोगों ने बताया कि उनके पास राशन कार्ड है। इनमें एपीएल श्रेणी के लोग भी थे। उनमें से 70 फीसदी लोगों का कहना था कि वे रियायती मूल्य पर चावल खरीदते हैं। हर तीन में से दो लोगों का कहना था कि वे पीडीएस सिस्टम से संतुष्ट हैं।
शहरी भारत में
60 फीसदी लोग मानते हैं कि रोजगार सृजन करना सरकार का काम है।
45 फीसदी लोग कहते हैं कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता।
ग्रामीण भारत में
20 फीसदी लोगों ने माना है कि उन्हें मनरेगा जैसी योजना का लाभ मिला।
20 फीसदी ग्रामीण लोग मानते हैं कि उन्हें एनआरएचएम का लाभ मिला