मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कर्जमाफी (Loan Waive off) के ऐलान के बाद बाकी राज्यों के किसानों (Farmers) को भी उम्मीद है कि अगले साल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) के पहले सरकार कर्ज माफ करने का ऐलान कर सकती है। इसी आस में कई राज्यों में किसानों ने अपने लोन की किश्तें देना बंद कर दिया है। मसलन उत्तर प्रदेश के कानपुर मंडल में ही कर्ज अदायगी में 60 फीसदी गिरावट आई है। यहां पिछले वित्तीय वर्ष में 70 फीसदी किसानों ने किश्तें जमा की थीं, इस बार मुश्लिल से 30 फीसदी ने ही किश्तें जमा की हैं। अन्य शहरों व राज्यों में भी यही स्थिति है।
कानपुर मंडल
कानपुर में इस वर्ष 40 हजार किसानों को 1.40 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया। मात्र 3.7 फीसदी किसानों ने ही कर्ज अदायगी की। इटावा में 85 हजार किसानों ने लोन लिया, लेकिन 4 से 5 फीसदी ही किश्तें चुका रहे हैं। पिछली तिमाही में 12 हजार किसानों ने ही कर्ज जमा किया। फर्रुखाबाद में 85 हजार किसानों ने कर्ज लिया, लेकिन 35 फीसदी ही किश्तें नियमित जमा कर रहे हैं।
बुन्देलखण्ड
हमीरपुर में 90 हजार, चित्रकूट में 18,301, झांसी में 13,286, महोबा में 1.25 लाख, बांदा और ललितपुर में दो-दो लाख किसानों ने लोन लिया। कर्ज अदायगी की दर 5 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
इलाहाबाद मंडल
फतेहपुर में 1.15 लाख किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से लोन ले रखा है। मात्र 3.5 फीसदी किसान किश्त चुका रहे हैं। मौजूदा तिमाही में किश्त अदा करने वालों में गिरावट आई है।
लखनऊ मंडल
उन्नाव में 1,26,258 किसानों को 1267.58 करोड़ का लोन दिया गया। लगभग 60 फीसदी ने ही तिमाही में किश्तें जमा की हैं। हरदोई में डेढ़ लाख किसानों को 100 करोड़ से अधिक लोन दिया गया, पर 60 फीसदी कर्ज अदा नहीं किया।
गोरखपुर मंडल
गोरखपुर-बस्ती मंडलों में केसीसी से लिए गए कर्ज की किश्त जमा करने की गति 3 माह में 30 फीसदी से भी कम हो गई है।
पूर्वांचल
पूर्वांचल के जिलों में पिछले कृषि सीजन में ऋण लेने वाले लगभग 90 से 95 फीसदी किसान लोन की किश्तें अदा नहीं कर रहे हैं। इन किसानों को उम्मीद है कि सरकार लोन माफ कर देगी।
पश्चिम उत्तर प्रदेश
बरेली में खरीफ सीजन में कोऑपरेटिव बैंक ने 63.20 करोड़ रुपये का कर्ज किसानों को दिया। उसमें से मात्र 17 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं। वहीं शाहजहांपुर में करीब 175 करोड़ और बदायूं में 25 करोड़ का कर्ज किसानों पर बकाया है। लखीमपुर जिले में कर्ज की रिकवरी न होने से सैकड़ों कर्मचारियों की पगार रुक गई है।
मेरठ जिले में कर्ज अदायगी में 20 से 30 प्रतिशत की कम आई। बागपत में लगभग 95 हजार किसानों ने लोन लिया, लेकिन किस्ते जमा होने में 15 से 20 प्रतिशत कमी आई है। बुलंदशहर में 2.25 लाख किसानों पर 3700 करोड़ रुपये कर्ज है। यहां करीब 20 प्रतिशत किसान कर्ज नहीं लौटा रहे।
सहारनपुर में तीन माह में करीब 60 प्रतिशत किसानों ने कर्जमाफी के बाद बैंकों में किश्तें जमा नहीं की। मुजफ्फरनगर में 187 करोड़ के लोन में दिसंबर के पहले 12 दिन में मात्र दो करोड़ की ही वसूली हुई है। मुरादाबाद जनपद में करीब 11 हजार किसानों को कर्ज माफी का इंतजार है। अलीगढ़ जिले में 11,353 किसानों पर सहकारी समितियों का 66.32 करोड़ का ऋण बकाया है।
बिहार
करीब 22 फीसदी किसानों ने चुकाया लोन
राज्य में किसानों के द्वारा कर्ज चुकाने की रफ्तार धीमी हो गई है। पिछली तिमाही में 8 लाख 27 हजार 425 किसानों ने 4,898 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया था। इस तिमाही में 8 लाख 75 हजार 175 किसानों ने 4,958 करोड़ रुपये नहीं चुकाए। इस प्रकार पिछले तीन माह में कर्ज अदायगी नहीं करने वाले किसानों की संख्या में 47 हजार 750 की बढ़ोतरी हुई। यानी करीब 22 फीसदी किसानों ने किश्तें नहीं जमा कीं।
झारखंड
समय से किश्त दे रहे किसान
कर्ज अदायगी में झारखंड के किसानों का रिकॉर्ड अच्छा है। राज्य में किसानों ने प्रथम तिमाही अप्रैल से जून के बीच 300 करोड़ और दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के बीच 743 करोड़ रुपए ऋण चुकाया। हालांकि, कृषि ऋण देने में बैंकों का रवैया उदासीन है। चालू वित्तीय वर्ष में बैंकों को 8,336.59 करोड़ रुपए ऋण वितरण का लक्ष्य दिया गया, पर 30 सितंबर तक 2,026.60 करोड़ रुपए ऋण ही दिया गया है।
उत्तराखंड
हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कर्ज फंसा
उत्तराखंड में किसान कर्ज की अदायगी सामान्य रूप से कर रहे हैं। हालांकि, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कुछ किसानों ने कर्ज नहीं लौटाया, ऐसा ट्रेंड पहले से है। राज्य बैंकर्स समिति के के अनुसार किसानों पर 9500 करोड़ का कुल फसल लोन बकाया है। ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज क्षेत्र में 1920 किसानों ने 32 करोड़ का कृषि लोन लिया, लेकिन किस्तें जमा नहीं कीं।
हरियाणा
फरीदाबाद में 10 फीसदी किसानों ने किस्तें बंद कीं
कर्ज माफी की आस में फरीदाबाद जिले में करीब 10 फीसदी किसानों ने किस्तें चुकानी बंद कर दी हैं। एक रिकवरी एजेंट ने बताया कि किसान किस्तें नहीं दे पाने के पीछे ‘पैसे नहीं होने’ की बात कह रहे हैं। जिला अग्रणी बैंक के मैनेजर डॉक्टर अलवभ्या मिश्रा का कहना है कि अप्रैल से सितंबर तक 8,089 सानों को करीब 133 करोड़ रुपये के कर्ज दिए जा चुके।