प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश के 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा देने की योजना को बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों से झटका मिला है। इन अस्पतालों ने आयुष्मान भारत के तहत मरीजों को सस्ता इलाज देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। जानकारी के अनुसार दिल्ली सहित मेट्रो शहरों के चर्चित प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान भारत के तहत सस्ता उपचार करने से मनाही कर दी है।
दो हजार से ज्यादा कॉरपोरेट अस्पतालों की आयुष्मान भारत से दूरी
मरीजों को सस्ता इलाज देने से अस्पतालों का इनकार
अस्पतालों के इस रुख ने मंत्रालय को भी झटके में ला दिया है। सूत्रों की मानें तो दो हजार से ज्यादा अस्पतालों ने यह फैसला लिया है। जिसके बाद मरीज को दिल्ली जैसे शहर में इलाज उपलब्ध कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कुछ ही दिन पहले इन अस्पतालों ने नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पत्र में इसका खुलासा भी किया था। जिसके बाद आयुष्मान भारत के तहत मरीजों को अस्पताल में मिलने वाले पैकेज की कीमतों में 28 मई को बदलाव भी किया गया।
दिल्ली सहित देश के टॉप अस्पतालों ने सरकार को लिखा पत्र
60 हजार रुपये में मरीज को नहीं लगा सकते हैं स्टेंट
लेकिन बुधवार को इन सभी अस्पतालों ने नई कीमतों को भी मानने से इंकार कर दिया। इनका कहना है कि सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) कीमतों से भी कम आयुष्मान भारत को रखा है। जोकि निजी अस्पतालों के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है। सूत्रों की मानें तो इस सूची में फोर्टिस, मेदांता, मैक्स और अपोलो जैसे बड़े अस्पताल शामिल हैं।
निजी अस्पतालों के दवाब में आयुष्मान भारत की कीमतों में हुआ बदलाव
नई कीमतों को भी अस्पतालों ने मानने से ठुकराया
प्राइवेट अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के डीजी डॉ. गिरधर ज्ञानी ने बताया कि सरकार ने 10 जकरोड़ परिवार को पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष स्वास्थ्य बीमा लाभ देने के लिए योजना शुरू की है। लेकिन इसमें बीमारियों के करीब 1352 पैकेज शामिल किए हैं, उनकी कीमतें बेहद कम हैं। व्यवहारिक तौर पर इन कीमतों में मरीज को इलाज देना किसी भी अस्पताल के लिए संभव नहीं है। यही वजह है कि बुधवार को भी नीति आयोग और आयुष्मान भारत के सीईओ को पत्र लिखा है।