देश का बैंकिंग सिस्टम इन दिनों बदलाव के दौर से गुजर रहा है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तरफ से हाल ही में चार सर्विस बंद किए जाने के बाद देश का सबसे बड़ा बैंक कल यानी गुरुवार से अपने एक और नियम में बदलाव कर रहा है. पिछले दिनों एसबीआई की तरफ से ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर दी गई जानकारी के अनुसार एसबीआई 12 दिसंबर से नॉन-सीटीएस चेक को स्वीकार नहीं करेगा. इस नियम को आने वाले दिनों में देश के अन्य बैंकों में भी लागू किया जाना है.
इन बैंकों में 1 जनवरी से बदलेगा नियम
जिन बैंकों में 1 जनवरी से नॉन-सीटीएस चेक को स्वीकार नहीं किया जाएगा, उनमें एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के अलावा और भी कई बैंक शामिल हैं. एसबीआई और अन्य बैंकों की तरफ से नॉन-सीटीएस चेक को स्वीकार नहीं करने का सबसे बड़ा असर ऐसे ग्राहकों पर पड़ेगा जो लेन-देने के लिए चेक का प्रयोग करते हैं. सूत्रों के अनुसार एसबीआई के 32 करोड़ ग्राहकों में से एक करोड़ से भी ज्यादा ग्राहक ऐसे हैं जिनके पास अभी भी नॉन-सीटीएस चेक बुक है.
अन्य बैंकों में 1 जनवरी से लागू होगा नियम
दरअसल, आरबीआई के निर्देश के अनुसार बैंक 1 जनवरी 2019 से नॉन सीटीएस चेक को क्लीयर नहीं करेंगे. इस बारे में SBI की तरफ से 12 दिसंबर की डेडलाइन तय की गई है. यानी देश के सबसे बड़े बैंक की तरफ से 12 दिसंबर से ही नॉन-CTS चेक स्वीकार नहीं किया जाएगा. 12 दिसंबर के बाद केवल CTS चेक ही क्लीयर होंगे. वहीं कुछ अन्य बैंकों में यह नियम 1 जनवरी से लागू होगा.
आरबीआई ने तीन महीने पहले दिया निर्देश
RBI की तरफ से इस बारे में निर्देश तीन महीने पहले दिया गया था. इसे लेकर SBI की तरफ से अपने करोड़ों ग्राहकों को मैसेज भी भेजे जा रहे हैं. बैंक की तरफ से भेजे जा रहे मैसेज में बैंक के ग्राहकों से चेक बुक सरेंडर करने और नई चेक बुक जारी करने की अपील की गई है. CTS यानी चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम, इस सिस्टम के तहत चेक की इलेक्ट्रॉनिक इमेज कैप्चर हो जाती है और फिजिकल चेक को क्लीयरेंस के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक में भेजने की आवश्यकता नहीं होती.
खर्च में कमी आएगी
इससे चेक को फिजिकली भेजने की झंझट खत्म होने के साथ ही खर्च में भी कमी आती है. इसके अलावा चेक क्लीयरेंस में भी कम समय लगता है. आपको बता दें नॉन सीटीएस चेक को कंप्यूटर रीड नहीं कर पाता. इसलिए इन्हें फिजिकली एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में भेजा जाता है. इसी कारण चेक को ड्रॉप-बॉक्स में लगाने के बाद इसकी क्लीयरेंस में ज्यादा समय लगता है. RBI बैंकों को पहले भी यह निर्देश दे चुका है कि वे केवल CTS-2010 स्टैंडर्ड चेक वाली चेकबुक ही इश्यू करें.