ऐहिहासिक जीत के साथ कांग्रेस को सरकार बनाने मौका
रायपुर : प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के भाजपा नेताओं ने 65 प्लस का लक्ष्य रखा था, लेकिन भाजपा के लक्ष्य को हासिल कर लिया कांग्रेस ने। अभी कांग्रेस 65 और भाजपा 18 सीटों पर आगे चल रही है। यानी सत्ताधारी पार्टी के लिए यह 65 प्लस का लक्ष्य उलटा पड़ गया। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही है। कांग्रेस के पक्ष में ऐसी लहर चली कि बड़े-बड़े मंत्रियों की गिल्ली उड़ती दिख रही है। धरसींवा में कांग्रेस की अनिता शर्मा भाजपा के देवजी पटेल से आगे चल रही है। धरसींवा सीट पर कांग्रेस के पक्ष में रुझान बताता है कि सूबे में कांग्रेस के पक्ष में किस तरह हवा चल रही थी। इस सीट से 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनिता शर्मा को उतारा था। अनिता के पति योगेंद्र शर्मा की चुनाव से छह महीने पहले झीरम घाटी नक्सली हमले में मौत हो गई थी। इसके बाद भी अनिता पिछला चुनाव नहीं निकाल पाई। अनिता से लोगों की सहानुभूति होने के बाद भी देवजी भाई चुनाव जीतने में कामयाब हो गए थे।
छत्तीसगढ़ में बदलाव की बयार थी, लेकिन सियासी पंडितों को भी एतबार नहीं था कि कांग्रेस को इस ऐतिहासिक जीत के साथ सरकार बनाने का मौका मिलेगा। हालांकि पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, दोनों करीब 52 सीट मिलने की बात कर रहे थे, लेकिन उन्हें भी शायद भरोसा नहीं होगा कि चौथी विधानसभा में उन्हें 60 से अधिक सीटें मिल जाएंगी।
कांग्रेस की लहर का आलम यह हुआ कि रमन सरकार के 12 में से सात मंत्री अपने विरोधियों से पीछे चल रहे हैं। इनमें बृजमोहन अग्रवाल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय, राम सेवक पैकरा, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत जैसे दिग्गज मंत्री शामिल हैं। बीजेपी का सबसे अधिक झटका बस्तर, दुर्ग और रायपुर संभाग में मिला है। रायपुर में भाजपा के पास अभी 15 विधायक थे। इस बार वह 20 में से मात्र तीन सीटों पर आगे चल रही है। जबकि, सत्ताधारी पार्टी को उम्मीद थी कि बस्तर में एक-दो सीटें बढ़ेंगी। लेकिन रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जहां से वह 2013 में सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, वहां बीजेपी की ये स्थिति होगी, पार्टी नेताओं ने सोचा भी नहीं होगा।