मुम्बई : दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अभिनेता राजपाल यादव तीन महीने के लिए एक नई भूमिका में हैं, अपनी दूसरी फ़िल्म जंगल में ही खलनायक का पुरस्कार जीतने वाले राजपाल यादव ने कैरियर की शुरूआत खलनायक बनकर की और काफी तारीफें बटोरी थी हालांकि बाद में वो एक कॉमेडियन के रूप में स्थापित हो गए। लेकिन उन्होनें हर तरह के अभिनय में अपना लोहा मनवाया है जिसका गवाह पूरा बॉलीवुड है। और अब वही काम राजपाल यादव जेल की सलाखों के अंदर भी कर रहे हैं,एक मंझे हुए अभिनेता के तौर पर वो तिहाड़ जेल में कैदियों का मनोरंजन कर रहे हैं।
जेल की सलाखों में कैद फिल्म अभिनेता राजपाल यादव की जिंदगी खुद किसी फिल्म से कम नहीं है।16 मार्च 1971 को ग्राम कुन्डरा तहसील पुवायाॅ, शाहजहाॅपुर (उत्तर प्रदेश) में जन्में राजपाल यादव का जीवन बचपन से अब तक संघर्षों के नाम ही रहा है। शाहजहांपुर में थिएटर करने के दिनों में ही उनकी पहली पत्नी का देहांत हो गया लेकिन उनका थिएटर का जुनून नहीं थमा और फ़िर शाहजहांपुर से भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ और वहां से राष्ट्रीय नाट्य विधालय, दिल्ली तक के सफ़र में तमाम अड़चनों के बावजूद उन्होने दिल्ली से भी कई सौ किलोमीटर दूर मायानगरी मुंबई में ख़ुद को स्थापित किया और यह उनका संघर्ष ही था जो इतने छोटे गांव से खींचकर उन्हें यहां लाया था लेकिन मुंबई ने भी उनका स्वागत स्वैग से किया और तकरीबन दो सौ फ़िल्में अब तक उनकी झोली में आ चुकी हैं कुछ दिन सबकुछ बहुत अच्छा चला लेकिन सन् 2010 से एक बार फ़िर उनके सितारे गर्दिश में आना शुरू हुए और वो अपने ही ज़िले के एक उधोगपति के शिकार हो गए जिसने पहले राजपाल यादव को अपने भरोसे में लिया और फ़िर जैसा वो कहते गए और राजपाल यादव करते चले गए।
एक दौर वो भी आया जब उस उधोगपति के आगे राजपाल यादव को अपने सगे-संबधी भी बौने लगने लगे और इसी आॅख बंद भरोसे की उन्होनें चोट खाई। दरअसल साल 2010 में राजपाल यादव ने अभिनय के साथ निर्देशन में उतरने का इरादा बनाकर अपने बैनर श्री नौरंग गोदावरी एन्टरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड से एक फ़िल्म अता पता लापता बनाई जिसमें पांच करोड़ रूपए की राशि उधोगपति माधोगोपाल अग्रवाल की फाईनेन्स कम्पनी मुरली प्रोजेक्ट्स से भी ली गई थी और फ़िल्म चलने पर पैसा वापस और न चलने पर कोई पैसा वापस न करने की डील फ़ाईनल हुई थी लेकिन उधोगपति ने राजपाल यादव को भरोसे में लेकर 600-700 पेज का एक एग्रीमेंट साइन करा लिया जिसमें यह राशि बतौर लोन दी गयी थी जिसपर ब्याज भी सालाना की दर से जोड़ा जा रहा था, और पैसा फ़िल्म चले य न चले, रिलीज़ हो या न हो लेकिन वापस करना ही था। राजपाल यादव ने एक ग़लती की जिसकी सज़ा उन्हें अब मिल रही है कि उन्होनें अपने ज़िले के होने के नाते उन उधोगपति पर इस कदर भरोसा कर लिया कि अपने लीगल डिपार्टमेंट से उस एग्रीमेंट को पढ़वाना तक ज़रूरी नहीं समझा और बिना सोचे समझे उस एग्रीमेंट पर अपने हस्ताक्षर करते चले गए और करते भी क्यों न आख़िर उन्होनें माधोगोपाल अग्रवाल को अपना बड़ा भाई जो मान लिया था लेकिन वो यह नहीं जानते थे कि जिन्हें वो माधो भईया कहकर पुकारते हैं वही भईया उन्हें सलाखों में डलवा देगें।
सन् 2013 में जब उनका नाम धोखाधड़ी और पैसे न वापस करने के मामले में सामने आया था तो देश सन्न रह गया था, राजपाल यादव आरोपों के घेरे में थे, लेकिन वो दोषी ठहराए गए कोर्ट में झूठा हलफ़नामा पेश करने के जुर्म में, जिससे नाराज़ होकर दिल्ली हाइकोर्ट ने उन्हें दस दिन की सजा सुनाई और तब वो चार दिन सज़ा काटने के बाद ज़मानत पर रिहा हो गये थे। और तब से अबतक इस केस ने कई मोड़ लिए दोनो ही पार्ट्रियों की तरफ़ से कई दलीलें रखी गयी लेकिन माधोगोपाल अग्रवाल अपनी हर बाज़ी में जीतते चले आए और उनका जीतना स्वाभाविक भी है क्योंकि अभिनेता सिर्फ पैसे लौटाने के लिए जद्दोजहद करता रहा लेकिन उधोगपति माधोगोपाल अग्रवाल उन्हें सड़क पर लाने के लिए हर पैतरां आज़माते रहे जिसमें वो हमेशा से ही माहिर हैं। राजपाल यादव ने पिछले दिनो प्रेस कॉफ्रेंस कर उन्हें खुली चुनौती भी दी थी कि हम और आप मिडिया के सामने बैठें और मैं आपसे पांच सवाल पूछूंगा यदि आपने तीन के भी जवाब दे दिए तो अदालत और जनता मुझे जो सज़ा देगी वो मंज़ूर होगी लेकिन माधोगोपाल अग्रवाल इस बात से बिल्कुल किनारा कर गए। अब तक की जो सबसे बड़ी बात इस केस में आजतक नहीं खुली वो यह कि इस केस से एक और बड़ा नाम जुड़ा हुआ है जिसका नाम ही नहीं आता जबकि इस पूरी डील में बिचौलिए की भूमिका में वही थे जो कि शाहजहांपुर ज़िले के पूर्व सासंद मिथलेश कुमार हैं, सूत्रों की मानें तो यह पैसा दरअसल मिथलेश कुमार का ही था जिसे उधोगपति माधोगोपाल अग्रवाल की कम्पनी मुरली प्रोजेक्टस के बैनर से लगवाया गया था।
राजपाल यादव की छवि आम जनता के बीच हीरो की है जिसे जनता अपने दिल से लगाकर रखती है, अपने गाॅव के लोगों के वह भगवान हैं जो गाॅव वालो के लिए उनके सुख,दुख में हमेशा साथ खड़े होते हैं ऐसै में उनपर इस तरह धोखाधड़ी के आरोप लगना आम जनता की समझ में नहीं आता जब मैनें दो-चार लोगों से राजपाल यादव के बारे में बात कि तो सबका कहना था कि वह भोले इंसान है उन्हें फंसा दिया गया है, जो दूसरों के लिए इतनी मदद करे वो ऐसा नहीं करेगा हो सकता है समय के फेर में अभी राजपाल के पास देने के लिए पैसा न हो परंतु नियत का वो साफ़ इंसान है। धोखाधड़ी वो किसी के साथ नहीं कर सकता। इस बार भी जब कोर्ट ने राजपाल यादव को मोहलत देना चाही तो वादी ने यह कह दिया कि पैसा आगे ले लिया जाएगा अभी इन्हें जेल भेजा जाए हालांकि अदालत ने यह भी कहा यदि जेल भेज दिया तो पैसे का दावा समाप्त हो जाएगा जिसपर भी वादी राज़ी हो गया और इस बात से मतलब साफ़ है कि वादी राजपाल यादव की छवि से खेलना चाहता है, मानसिक तनाव देना चाहता है,पैसों से उन्हें कोई ख़ास मतलब नहीं है।मिले तो ठीक न मिले तो ठीक लेकिन राजपाल बदनाम हो जाए बस। लोन की रकम न लौटा पाने के मामले में दोषी फिल्म स्टार राजपाल यादव जेल से अब तीन माह बाद ही रिहा होंगे और तब उनके पास एक ऐसी जिंदगी होगी जहां सिर्फ और सिर्फ सुकून के पल होंगे, राजपाल यादव यक़ीनन आज ही से उस दिन का,उस पल का बेताबी से इंतजार कर रहे होगें लेकिन एक अभिनेता से जेल के कैदी बनने तक के सफर की इस कहानी को राजपाल यादव कभी भूल नहीं पाएंगे, वो कभी नहीं भूल पाएगें कि अपने ही शहर का इंसान उनके जीवन में रावण बन जाएगा।
राजपाल यादव को अदालत से मोहलत की उम्मीद थी लेकिन अदालत ने मोहलत न देकर जेल भेज दिया, अचानक जेल की जिंदगी को अपनाना आसान न है, जेल में अब उन्हें तीन माह तक कैसी जिंदगी काटनी है इसका अनुभव सजा सुनाये जाने के चंद मिनटों बाद ही राजपाल यादव को हो गया होगा लेकिन राजपाल यादव को मैं जितना जानता हूं वो एक ज़िन्दादिल इंसान हैं, जितनी चितां में उनका गाॅव, उनका शहर और उनके लोग हैं वो अंदर रहकर भी उन सबको बांधे हुए होगें कि जैसे चितां की कोई बात ही नहीं है। एक गुनहगार के तौर पर जेल की जिंदगी शुरू करते समय कोई अभिनेता हो या आम इंसान तकलीफ तो होती है लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुज़रता है लोग खुद को जेल की आवो-हवा के मुताबिक ढाल लिया करते हैं और फिर एक आम कैदी की तरह सलाखों के बीच गुजरने लगती है उनकी जिंदगी लेकिन राजपाल यादव को यह सुकून है कि उनकी यह सज़ा सिर्फ तीन माह कि है उसके बाद फ़िर वो ख़ुलकर सुकून की सांस ले सकेगें। और फ़िर जेल जाने वाले अभिनेताओं की फ़ेहरिस्त तो छोटी है लेकिन नाम बहुत बड़े हैं चाहें वो संजय दत्त हो, या सलमान ख़ान हों।