लखनऊ। वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव यूपी में नई वीवीपैट मशीनें लगाकर होगा। भारत निर्वाचन आयोग ने यूपी को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की 1.70 लाख वीवीपैट मशीनें आवंटित की हैं। अगले महीने से इसकी आपूर्ति भी शुरू हो जाएगी। खास बात यह है कि कैराना व नूरपुर के उपचुनाव में धोखा देने वाली वीवीपैट आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी में उपयोग में नहीं लाई जाएंगी।
ईवीएम पर उठ रहे सवालों को देखते हुए चुनाव आयोग ने कुछ समय पहले ही वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव वीवीपैट लगाकर करने का निर्णय लिया है, लेकिन सोमवार को कैराना संसदीय क्षेत्र व नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में वीवीपैट धोखा दे गईं। इससे सभी दलों को चिंतित होना लाजमी है। यहां पर 2056 पोलिंग बूथ में से 384 वीवीपैट खराब हो गए। भीषण गर्मी के कारण इसमें लगे सेंसर ने काम करना बंद कर है। इस कारण वीवीपैट हैंग कर गईं।
ईवीएम भी बीईएल कंपनी की रहेंगी
खराब हुई मशीनें कुल लगी वीवीपैट का 18 फीसद से भी अधिक है। जो वीवीपैट खराब हुईं, वह इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआइएल) की हैं। गोरखपुर संसदीय सीट के उपचुनाव में भी 25-30 पोलिंग बूथ पर वीवीपैट खराब हुए थे। उसमें भी ईसीआइएल के वीवीपैट लगे थे। इसको देखते चुनाव आयोग ने यूपी में नई वीवीपैट के साथ चुनाव कराने का निर्णय लिया है। उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी रत्नेश सिंह ने बताया कि प्रदेश को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 1.70 लाख नई वीवीपैट मिलेंगी। सभी बीईएल कंपनी की हैं। इस कंपनी की वीवीपैट की खराबी की सूचना अभी तक नहीं मिली है। ईवीएम भी बीईएल कंपनी की रहेंगी।
इंजीनियरों से मांगी जाएगी रिपोर्ट
चुनाव आयोग खराब होने वाली वीवीपैट के इंजीनियरों से इसकी टेक्नीकल रिपोर्ट तलब करेगा। यह वीवीपैट ईसीआइएल कंपनी की हैं। पुनर्मतदान निपटने के बाद इसके इंजीनियरों से विस्तृत रिपोर्ट ली जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद इसकी कमियों को दूर किया जाएगा।
क्या है वीवीपैट
वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएट)। यह एक ऐसी मशीन होती है जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ जोड़ा जाता है। मतदान करने के बाद इससे एक कागज की पर्ची निकलती है। इस पर्ची में जिसे वोट दिया गया हो उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके। वीवीपैट में लगी शीशे के स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखाई देती है। यह मशीन वर्ष 2013 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने बनाई थी।