भारत-पाक 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने अपना दूसरा हमला आगरा पर किया था. इस हमले में पाक वायु सेना ने भारतीय एयरबेस के साथ विश्व के सातवें अजूबे ताजमहल को भी ध्वस्त करने की साजिश रची थी. इसी साजिश के तहत पाकिस्तान की वायु सेना ने 3-4 दिसंबर की रात आगरा में बमबारी शुरू की थी.
इस बमबारी में पाकिस्तानी वायु सेना ने 500 पाउंड वजन के 16 बम आगरा में गिराए थे. इसमें 3 बम एयरफोर्स परिसर में गिरे, जबकि बाकी बम एयरबेस के समीप स्थित खेतों में गिरे. पाकिस्तानी एयरफोर्स अपने मंसूबे में सफल हो पाती, इससे पहले भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बी-57 विमान को मार गिराया.
पाक एयरफोर्स के हमले में रन-वे को मामूली नुकसान
सेना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा गिराए गए बमों में तीन बम एयरपोर्ट परिसर में आकर फटे. इसकी वजह से आगरा एयरबेस के रन-वे को मामूली नुकसान पहुंचा. वहीं, कुछ बम समीप के खेतों में जाकर फटे. वहीं, कुछ बमों को समीपवर्ती इलाकों से जिंदा बरामद किया गया था. पाकिस्तानी एयरफोर्स का मंसूबा था कि वह आगरा एयरबेस को पूरी तरह से नष्ट कर दें, जिससे भारतीय सेना को आगरा से एयरफोर्स की मदद न पहुंच सके. हालांकि, भारतीय वायु सेना की दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने पाकिस्तान के सभी मंसूबे विफल हो गए. भारतीय वायुसेना ने रातोंरात रन-वे को दुरुस्त कर दिया था.
काले कपड़े और पेड़ की पत्तियों से ढंका गया ताजमहल
पाक वायु सेना के हवाई हमलों के चलते पूरे देश में ब्लैक आउट घोषित कर दिया गया था. बावजूद इसके संगमरमर से बना ताजमहल अभी भी रात में दमक रहा था. ऐसे में यह खतरा बना हुआ था कि पाक वायु सेना के लड़ाकू विमान ताजमहल को अपना निशाना ना बना लें. लिहाजा, ताजमहल की सुरक्षा के लिए आनन-फानन में कवायद शुरू की गई. ताजमहज की मुख्य गुंबद और चारों मीनारों को काले रंग के कपड़े से ढक दिया गया. इसके अलावा, मुख्य गुंबद के चारों तरफ लड़की की बल्लियों को बांधकर काले रंग के कपड़ों को नीचे लटकाया गया. गुंबद और नीचे की फर्श को पेड़ों की पत्तियों और घास से ढक दिया गया, जिससे दुश्मन को ताजमहल का कोई भी हिस्सा न दिख सके.