ब्यूनस आयर्स/नई दिल्ली : जी20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक दूसरे के खिलाफ खड़ी महाशक्तियों के साथ भारत के परस्पर हितकारी संबंधों को कायम रखते हुए शुक्रवार को दो महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय वार्ताओं में शिरकत की। मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ जापान–अमेरिका- भारत (जय) की पहली त्रिपक्षीय वार्ता में भाग लिया। बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि ये तीनों देश समान लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास रखते हैं तथा इनके बीच सहयोग से विश्व शांति स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। अपनी चिर परिचित शैली में प्रधानमंत्री ने जापान-अमेरिका-भारत को इनके नाम के पहले अक्षर जेएआई को जय कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत में जय का अर्थ सफलता होती है और यह त्रिपक्षीय सहयोग जय के अर्थ को सार्थक करता है।
मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ मुलाकात कर उन्हें अगले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने का न्योता दिया। रामफोसा ने इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया। अगले वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है और दक्षिण अफ्रीका के जनक नेल्सन मंडेला की जन्म शताब्दी है।
इस त्रिपक्षीय बैठक में हुए विचार विमर्श की औपचारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई लेकिन अंतरराष्ट्रीय विषयों के जानकारों का मानना है कि यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने तथा इस क्षेत्र में मुक्त नौवहन को सुनिश्चित करने पर केन्द्रित थी। अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ रूस और चीन की तनातनी के बीच मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक अन्य त्रिपक्षीय वार्ता। रूस-भारत-चीन (रिक) की यह बैठक 12 साल के अंतराल के बाद हुई। इस बैठक में अमेरिका का नाम बिना लिये उसकी संरक्षणवादी आर्थिक नीतियों और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं की अवहेलना कर एकतरफा रूप से फैसले करने की आलोचना की गई। मोदी ने बैठक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय मसलों का समाधान संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं के जरिए बहुपक्षीय रूप से ही किया जाना चाहिए। तीनों नेताओं ने इन देशों के बीच आपसी सहयोग विश्व शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया।