भारतीय लड़की ने डोनाल्‍ड ट्रंप को बताया Weather और Climate में फर्क

फिल्मों की दुनिया के बारे में अक्सर ये कहा जाता है, कि वहां पर सबकुछ काल्पनिक होता है. लेकिन कई बार जो चीज़ें फिल्मों में दिखाई जाती हैं, उनका असल ज़िन्दगी से काफी गहरा रिश्ता होता है. और फिल्मों के सीन.. असल ज़िंदगी से एकदम Match कर जाते हैं. चीन और ऑस्ट्रेलिया में ऐसा ही हुआ है.. हम ये तस्वीरें आपको दिखाएंगे, लेकिन इन तस्वीरों से पहले आपको वर्ष 2011 में Release हुई Hollywood की फिल्म Mission Impossible, Ghost Protocol का एक दृश्य देखना चाहिए.. पहले आप ये फिल्मी सीन देखिए. फिर हम आपको चीन और ऑस्ट्रेलिया का असली सीन दिखाएंगे.

रेतीली आंधी के इस दृश्य की Shooting दुबई में की गई थी. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है, कि सड़क पर चलते हुए, स्कूल जाते हुए, या गाड़ी चलाते हुए, अगर ऐसी धूल और रेत से भरी आंधी असल ज़िन्दगी में आ जाए तो उस वक्त कैसा दृश्य होगा ? तेज़ हवाओं के साथ धूल या रेत से भरी आंधी तो हमारे देश में भी आती है. लेकिन, कई फीट ऊंची सुनामी की लहरों की तरह आने वाले ऐसे तूफान को हमारे देश के लोगों ने क़रीब से महसूस नहीं किया है. ऐसी आंधी के वक्त हालात कैसे होते हैं, इसे समझने के लिए अब आपको चीन और ऑस्ट्रेलिया लेकर चलते हैं.

चीन में Gansu नामक एक प्रांत है, जो अमेरिका के राज्य California जितना बड़ा है. वहां पर पिछले 10 वर्षों की सबसे भयंकर रेतीली आंधी आई थी. इस आंधी की वजह से आसमान में रेत की 100 मीटर यानी क़रीब 328 फीट ऊंची दीवार खड़ी हो गई थी। इस आंधी ने अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ को नहीं छोड़ा. बड़ी-बड़ी इमारतें रेत से भर गईं. सड़क पर चल रही गाड़ियों में कंपन होने लगा. लोग जहां थे, वहीं पर रुक गए. आंधी के गुज़र जाने के बाद जब लोगों ने अपनी जेब में हाथ डाला, तो उन्हें भी अपनी जेब में सिवाए रेत के कुछ नहीं मिला.

बिल्कुल ऐसी ही तस्वीर ऑस्ट्रेलिया की भी थी. ऑस्ट्रेलिया के New South Wales और दक्षिणी Queensland में कुछ दिन पहले धूल और रेत से भरी आंधी आई थी. इस आंधी की वजह से कई इलाके ऐसे थे, जहां पर आसमान का रंग नीले से नारंगी हो गया. जबकि, कुछ इलाके ऐसे भी थे, जहां आसमान दिख ही नहीं रहा था. क्योंकि, चारों तरफ धूल की कई मीटर ऊंची दीवार खड़ी हो गई थी. इस तूफान की तुलना वर्ष 2009 में आए Australian Dust Storm से की जा रही है. 9 वर्ष पहले आए उस तूफान की वजह से ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में आसमान का रंग नीले से नारंगी हो गया था.

इसलिए आज चीन और ऑस्ट्रेलिया की ताज़ा तस्वीरों के साथ-साथ आपको 9 साल पुरानी उस भीषण आंधी का वीडियो भी देखना चाहिए है. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आने वाले तूफ़ान पहले के मुकाबले और भयानक हो गये हैं. ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है, कि क्या जलवायु परिवर्तन से इसका कोई लेना-देना है ? और इसका जवाब है हां. क्योंकि, जैसे-जैसे दुनिया गर्म हो रही है, तूफ़ान आने की आशंकाएं बढ़ रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया का तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है.

अगर ऐसा हुआ तो भारत में हर वर्ष भयानक गर्म हवाएं चलेंगी.. और इन हवाओं की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत होगी. पृथ्वी के इस बुखार को ही Global Warming कहा जाता है. और ध्यान देने वाली बात ये भी है, कि जब पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, तो ना सिर्फ बेमौसम बरसात होती है. बल्कि भयानक आंधी-तूफान भी आते हैं. हालांकि, पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन को लेकर बड़े बड़े दुनिया के ताकतवर देशों के नेताओं को मौसम के बदलते मिज़ाज से कोई लेना देना नहीं है. और इस मामले में उनका ज्ञान भी बहुत कम है. अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump…को ये भी नहीं पता, कि Weather और Climate में क्या फर्क होता है. हालांकि उनकी ये ग़लती भारत के Assam में रहने वाली 18 साल की आस्था ने पकड़ ली और Twitter पर दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति को इस लड़की ने आईना दिखा दिया.

Trump ने हाल ही में एक Tweet किया था. जिसमें उन्होंने ये लिखा था, कि एक ही दिन में इतना ठंडा मौसम इस बात को साबित करता है, कि दुनिया में Global Warming जैसे शब्द की कोई सच्चाई नहीं है. लेकिन उनके इस Tweet की सबसे बड़ी समस्या ये थी, कि वो एक दिन के मौसम और जलवायु परिवर्तन के बीच फर्क नहीं कर पाए और Confuse हो गए. इसके बाद असम में रहने वाली आस्था ने मौसम और जलवायु परिवर्तन के विषय पर Donald Trump की Online Class लगा दी.
 
आस्था ने Twitter पर Trump को जवाब देते हुए लिखा, कि मैं आपसे 54 साल छोटी हूं. मैंने अभी-अभी औसत Marks के साथ अपनी High School की शिक्षा पूरी की है. लेकिन इसके बावजूद मैं आपको बता सकती हूं, कि मौसम और जलवायु में बहुत फर्क होता है. अगर आपको इस विषय पर ज़्यादा जानकारी चाहिए, तो मैं आपको अपनी वो Encyclopedia उधार दे सकती हूं, जिसका इस्तेमाल मैंने तब किया था जब मैं Second Grade में थी. उसमें तस्वीरों के साथ-साथ सारी जानकारी भी मौजूद है. आस्था के इस Tweet से Donald Trump के Twitter Timeline पर Re-Tweets और Likes का तूफान आ गया. 18 साल की आस्था के जवाब को अब तक 5 हज़ार से ज़्यादा बार Re-Tweet किया जा चुका है. जबकि, 22 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने उसके Tweet को Like किया है. कई लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने Donald Trump को जवाब देने वाली लड़की को भविष्य में उम्मीद की किरण बताया है, और कुछ लोगों ने आस्था को Arabian Sea में जलवायु परिवर्तन के असर पर शोध करने के लिए Internship का Offer तक दे दिया है.

वैसे मौसम और जलवायु पर Donald Trump को एक हिन्दुस्तानी द्वारा दिया गया ज्ञान लेना ज़रुरी था क्योंकि, सच्चाई यही है, कि उन्हें इस विषय के बारे में जानकारी नहीं है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति को ये बात पता होनी चाहिए, कि किसी स्थान की दिन-प्रतिदिन की वायुमंडलीय दशा को मौसम कहते हैं. जबकि, मौसम में लंबे समय में होने वाले दीर्घकालिक परिवर्तन को जलवायु कहते हैं. मौसम एक ही दिन में किसी भी समय अचानक बहुत तेज़ी से बदल सकता है. जबकि जलवायु आमतौर पर स्थिर रहती है और उसके बदलाव धीरे धीरे होते हैं. आम तौर पर, मौसम एक छोटे से क्षेत्र के साथ संबंधित होता है. जबकि, जलवायु एक विशाल क्षेत्र पर लागू होती है. यानी Donald Trump ना तो मौसम और जलवायु के बीच के मूलभूत फर्क को समझते हैं. और ना ही उन्हें जलवायु परिवर्तन की कोई चिंता है.

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