CBI vs CBI विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अहम सुनवाई करेगा. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा के जवाब लीक होने पर नाराज़गी जताते हुए सुनवाई टाल दी थी और आलोक वर्मा के बारे में छपी रिपोर्ट की प्रति उनके वकील फली नरीमन को देते हुए उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी. फली नरीमन ने बताया था कि मीडिया में छपा आर्टिकल सीवीसी की ओर से पूछे गए आलोक वर्मा के जवाब के बारे में था, ना कि कोर्ट में सीलबंद कवर में पेश किए गए जवाब के बारे में.
दरअसल, आलोक वर्मा ने अचानक छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ याचिका दायर की हुई है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टैबलिशमेंट (डीएसपीई) एक्ट की धारा 4-बी के मुताबिक, सीबीआई निदेशक का दो वर्ष का तय कार्यकाल होता है और सरकार ने उनका कामकाज छीनकर इस नियम का उल्लंघन किया है.
कानून की धारा 4ए कहती है कि प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और प्रधान न्यायाधीश की एक उच्च स्तरीय कमेटी होगी जोकि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करेगी और धारा 4बी 2 के मुताबिक सीबीआई निदेशक का स्थानांतरण करने से पहले इस समिति से अनुमति लेनी होगी. वर्मा का कहना है कि इन कानूनी प्रावधानों की अनदेखी करते हुए उनसे कामकाज छीनने का आदेश जारी किया गया है, जोकि गैरकानूनी है.