उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पिछले दो दिनों से जबरदस्त हलचल है. एक तरफ जहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे हजारों कार्यकर्ताओं के साथ राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर अयोध्या में डेरा जमाए हुए हैं, वहीं विश्व हिंदू परिषद (विहिप) हजारों साधु-संतों को एक मंच पर लाकर धर्मसभा आयोजित कर रही है. पूरी अयोध्या राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर गूंजायमान है. धर्म नगरी अयोध्या में बने ऐसे माहौल पर मुस्लिम पक्ष क्या सोचते हैं. इस पूरे घटनाक्रम कपर वे क्या सोचते हैं आइए उसपर एक नजर डालते हैं.
इकबाल अंसारी
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी ने अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की धर्मसभा के मद्देनजर किये गये सुरक्षा प्रबन्धों पर संतोष जाहिर किया है. हालांकि निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद इतनी बड़ी भीड़ जमा करने की मंशा पर सवाल भी उठाये हैं. इकबाल अंसारी ने सुरक्षा प्रबन्धों पर संतोष जाहिर किया, मगर कहा कि अगर किसी को मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर कोई बात कहनी है तो उसे दिल्ली या लखनऊ जाना चाहिये. अंसारी ने अयोध्या में धर्म सभा के नाम पर भीड़ जमा करने की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा ‘उन्हें विधान भवन या संसद का घेराव करना चाहिये और अयोध्या के लोगों को सुकून से रहने देना चाहिये.’
जफरयाब जीलानी
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के वरिष्ठ सदस्य एवं अधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) द्वारा आयोजित ‘धर्म सभा’ को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रणनीति का हिस्सा करार देते हुए दावा किया कि अयोध्या के मौजूदा हालात के मद्देनजर वहां के मुसलमान खौफज़दा हैं. जीलानी ने कहा कि अयोध्या के मुसलमान पिछले करीब एक हफ्ते से खौफजदा हैं. जो लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, उनसे हमने कहा है कि वे लखनऊ आज जाएं. उन्होंने कहा ‘हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं….’
एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ सदस्य ने दावा किया कि अयोध्या में आज जो भी हो रहा है, वह अदालत की अवमानना है. नियम तो यही है कि जो मामला अदालत में चल रहा हो, उसके बारे में सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया तो दूर, उसका जिक्र तक नहीं करना चाहिये. मगर अदालत को बयानों और आयोजनों के जरिये चुनौती दी जा रही है.
खालिद राशिद फरंगीमहली
एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ सदस्य खालिद राशिद फरंगीमहली ने कहा कि छोटे से बच्चे को भी पता है कि देश के माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव और अगले साल की शुरुआत में होने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा हासिल किया जा सके. फरंगीमहली ने कहा कि सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि अयोध्या में आम आदमी की सुरक्षा के लिए मजबूत बंदोबस्त किया जाए ताकि 1992 जैसी घटना की पुनरावृत्ति ना होने पाये. जिलानी ने कहा कि सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.
दोनों ही हालांकि महसूस करते हैं कि सरकार और प्रशासन को ना सिर्फ मुसलमान बल्कि अयोध्या के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. विशेषकर 1992 में जो कुछ हुआ, उसे देखते हुए सुरक्षा इंतजाम करने चाहिए. राम जन्मभूमि—बाबरी मस्जिद मामले से जुडे इकबाल अंसारी, हाजी महबूब और मोहम्मद उमर ने हाल ही में कहा था कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए.
वसीम रिजवी
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि अयोध्या में जुटी भीड़ से मुसलमानों में डर का माहौल है. सरकार और प्रशासन को सोचना चाहिए कि इतनी संख्या में लोगों के अयोध्या में जुटने से हालात बिगड़ने का खतरा हो सकता है. स्थानीय लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि प्रशासन इतने सारे लोगों को अयोध्या में जुटने ही क्यों दे रहा है.