अमेरिका भी भारत के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) पहुंच गया है. अमेरिका का आरोप है कि भारत ने कपास उत्पादकों को बाजार समर्थन मूल्य (एमपीएस) कार्यक्रम के तहत ज्यादा सब्सिडी दी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत डब्ल्यूटीओ की कृषि विषयक समिति (सीओए) के सामने जल्द ही अपना पक्ष रखेगा. ऑस्ट्रेलिया भी गन्ना सब्सिडी को लेकर भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज करा चुका है.
दरअसल, पिछले सप्ताह अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ से कहा था कि भारत ने 2010-11 से 2016-17 के बीच कुल उत्पादन मूल्य के 53 में से 81 प्रतिशत तक सब्सिडी का भुगतान किया है. अमेरिका का कहना है, “ऐसा लगता है कि भारत ने डब्ल्यूटीओ को जो बताया था, उससे कहीं ज्यादा सब्सिडी दी है. उधर, भारत इसका जवाब देने की तैयारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वाणिज्य विभाग ने कृषि एवं कपड़ा मंत्रालय से 2016 से 2018 तक के अग्रिम अनुमान के आंकड़े फिर से मांगे हैं.
सब्सिडी गणना विधि के मुद्दे पर है तनाव
अभी कृषि उत्पादों के लिए बाजार समर्थन मूल्य (एमपीएस) की गणना 1986-88 की कीमतों के आधार पर होती हैं. भारत समेत 45 अन्य देश डब्ल्यूटीओ
से खाद्य सब्सिडी की गणना के लिए आधार वर्ष (1986) को बदलने की मांग कर रहे हैं. भारत का कहना है कि वर्ष 1986–88 की कीमतों पर सब्सिडी की गणना के कारण, सब्सिडी डब्ल्यूटीओ के दस फीसदी की सीमा से अधिक हो जाती है.
भारत सहित विकासशील देशों के G–33 समूह ने दिसंबर 2013 में बाली के मंत्रीस्तरीय सम्मेलन में विकासशील देशों ने विकासशील देशों द्वारा भारत सहित विकासशील देशों के समूह G–33 ने सब्सिडी के दायरे में खाद्य सुरक्षा पहलों की रक्षा के स्पष्ट उद्देश्य के साथ खादय भंडार के अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया था लेकिन अमेरिका, यूरोपीय संघ के देश, जापान, स्विटजरलैंड, नॉर्वे इसमें बदलाव का विरोध कर रहे हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने भारत के खिलाफ ज्यादा सब्सिडी देने का आरोप लगाया हो. मई माह में भी अमेरिका ने आरोप लगाया था कि भारत ने गेहूं और चावल की सरकारी खरीद में सब्सिडी घटाकर दिखाई है. अमेरिका का दावा था कि गेहूं उत्पादन के 60 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर जबकि चावल उत्पादन के करीब 70 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर भारत एमपीएस दे रहा है जो कि तय मानकों ने ज्यादा है.
पहले भी भारत के खिलाफ शिकायत कर चुका है अमेरिका
अमेरिका इस मामले को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) भी गया था. तब भारत ने कहा था कि अमेरिका के अधिकारी भारत में पूरी फसल पर दी जा रही सब्सिडी की मूल्यांकन गलत तरीके से कर रहे हैं. 2006 के बाद से भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है. पहले नंबर पर चीन है. कपास निर्यात के मामले में भी भारत 2007 से दूसरे नंबर पर है.