उत्तराखंड में रविवार को निकाय चुनाव के तहत मतदान हो रहा है. रविवार सुबह आठ बजे से वोटिंग शुरू हुई है, जो कि शाम पांच बजे तक जारी रहेगी. राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनावों के लिए सभी तैयारियां पूरी करने का दावा किया है. इस बार उत्तराखंड निकाय चुनाव में 4,978 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
निकाय चुनाव में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. देहरादून के डिफेंस कालोनी में मुख्यमंत्री पत्नी के साथ डीएवी स्कूल पहुंचे, जहां वोट डालने के बाद सीएम ने प्रदेश में एकतरफा जीत का दावा किया. उत्तरकाशी नगर पालिका में सुबह 10 बजे तक 9.41 फीसदी, हरिद्वार नगर निगम में 10 बजे तक 13 फीसदी मतदान हुआ.
बता दें कि 7 नगर निगमों के मेयर के पद लिए 51 प्रत्याशी चुनावी मैदान उतरे हैं. 39 नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के पदों के लिए 279 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. 38 नगर पंचायत के अध्यक्ष के पदों के लिए 226 प्रत्याशी इस बार चुनाव लड़ रहे हैं. निकाय चुनाव के लिए हलद्वानी में 263 बूथ और नैनीताल में कुल 366 बूथों पर मतदान हो रहा है. संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स तैनात किया गया है.
उत्तराखंड में रविवार को हो रहे नगर निकाय चुनावों के लिए 16 नवंबर को शाम पांच बजे चुनाव प्रचार खत्म हो गया था, लेकिन उससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने रोड शो कर शक्ति प्रदर्शन किया था. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था और जनसभाएं, रोड शो, रैली करने के अलावा घर—घर जाकर भी उन्होंने अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया था.
मुख्यमंत्री रावत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर तथा देहरादून में बीजेपी के मेयर पद के प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा की अगुवाई में भाजपा ने भी रोड शो किया जो पार्टी के महानगर कार्यालय से शुरू होकर पल्टन बाजार और घंटाघर होते हुए दर्शनी गेट पर समाप्त हुआ था.
प्रदेश में सात नगर निगमों, 39 नगर परिषदों तथा 38 नगर पंचायतों सहित 84 नगर निकायों के लिए एक चरण में मतदान हो रहा है. पिछले साल विधानसभा चुनावों में जबर्दस्त जीत हासिल करने वाली बीजेपी सरकार पर इन चुनावों में अपने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव भी है. 2017 में बीजेपी ने विधानसभा की 70 सीटों में से 57 पर जीत हासिल की थी.
नगर निकाय चुनाव कांग्रेस के लिए भी कम अहम नहीं है क्योंकि पिछले साल विधानसभा चुनावों में महज 11 सीटों पर सिमट गई पार्टी को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले प्रदेश में संजीवनी की जरूरत है.