भारत के डीपीआई मॉडल की संयुक्त राष्ट्र में सराहना

न्यूयॉर्क (शाश्वत तिवारी)। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत के स्थायी मिशन ने “भविष्य के डिजिटल नागरिक को सशक्त बनाना: एकीकृत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की ओर” शीर्षक से एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की शुरुआत पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। वक्ताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद के सभी रूपों का मुकाबला करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

अपने उद्घाटन भाषण में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पी. हरीश ने एक समावेशी और स्केलेबल डीपीआई इकोसिस्टम के निर्माण में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा को रेखांकित किया। उन्होंने शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में क्रांति लाने में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। राजदूत हरीश ने आधार, एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) और प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसी प्रमुख पहलों के साथ-साथ जेएएम ट्रिनिटी पर प्रकाश डाला। मुख्य भाषण देते हुए वाणिज्य एवं उद्योग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने भारत की डीपीआई सफलता की कहानी को प्रदर्शित किया। उन्होंने कृषि, रसद और स्मार्ट शहरों सहित नए क्षेत्रों में अपने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की भारत की महत्वाकांक्षा पर जोर दिया, जिससे समावेशी डिजिटल परिवर्तन के लिए देश की प्रतिबद्धता को बल मिला। इस दौरान मुख्य अतिथि 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने डिजिटल नवाचार में भारत के नेतृत्व की सराहना की और वैश्विक भलाई के लिए एक मॉडल के रूप में डीपीआई को विकसित करने में देश के प्रयासों की प्रशंसा की।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने वैश्विक डिजिटल शासन को आकार देने में सहयोग, नवाचार और समावेशिता के महत्व को रेखांकित करते हुए अधिक न्यायसंगत डिजिटल भविष्य के निर्माण के लिए डीपीआई का लाभ उठाने पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।

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