नई दिल्ली। वक्फ कानून के खिलाफ विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन कानून को सभी संवैधानिक आवश्यकताओं को चरणबद्ध तरीके से पूरा करते हुए बनाया गया है।
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सोमवार को कहा, वक्फ संशोधन कानून को सभी आवश्यक संवैधानिक आवश्यकताओं को चरणबद्ध तरीके से पूरा करते हुए बनाया गया है। इसे संसद में पेश किया गया, फिर संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया। समिति की सिफारिशों के बाद इसे वापस सदन में लाया गया। दोनों सदनों में न केवल आधी रात तक, बल्कि सुबह तक व्यापक चर्चा हुई, जिसे पूरे देश ने देखा। उसके बाद राष्ट्रपति की सहमति से अब यह कानून बन गया है।
उन्होंने आगे कहा, मैं बताना चाहूंगा कि सभी राजनीतिक दल संवैधानिक व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं के बारे में अपनी बात रख चुके हैं और यह उनका अधिकार है, इसलिए उन्होंने इस मामले में न्यायालय का रुख किया है। हालांकि, हम पहली बार देख रहे हैं कि लोग बिल के कानून बनने से पहले ही अदालतों का रुख कर रहे हैं। यह एक अजीब और अभूतपूर्व मामला है। कानूनी तौर पर कोई भी बिल के अधिनियमित होने से पहले उसे चुनौती नहीं दे सकता, जिससे साफ जाहिर होता है कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के तहत ऐसा किया जा रहा है।
सुधांशु त्रिवेदी ने राजनीतिक दलों को नसीहत देते हुए कहा, मैं सभी पार्टियों से कहना चाहूंगा कि जब वे एक बार उच्चतम न्यायालय तक जा चुके हैं तो न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उन्हें राजनीतिक बयानबाजी से बचना चाहिए। मुझे विश्वास है कि जिस प्रकार समस्त संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए हमारी सरकार ने निर्णय लिया है, तो हमें आश्वासन है कि न्यायालय का फैसला हमारे पक्ष में आएगा।
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने वक्फ कानून का विरोध कर रही राज्य सरकारों को भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा, जैसा कि हमने पहले कहा है कि अन्य राजनीतिक दलों, खासकर तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के दलों द्वारा अपनी-अपनी विधानसभाओं में इस विधेयक का विरोध करने से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वे संविधान की भावना को कमजोर कर रहे हैं। संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य विधानसभा को संसद द्वारा पारित किसी भी कानून पर प्रतिकूल टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि इससे जनता के सामने यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे लोगों के हाथों में संविधान खतरे में है। मैं इतना ही कहूंगा कि वे संविधान को जेब में रखते हैं और इसलिए बार-बार अपनी जेब से निकालकर संविधान को दिखाते हैं।