नई दिल्ली। भारत और चीन ने मंगलवार को बीजिंग में ‘सकारात्मक और रचनात्मक’ माहौल में नए दौर की कूटनीतिक वार्ता की। यह बातचीत प्रभावी सीमा प्रबंधन सुनिश्चित करने, सीमा पार नदियों और कैलाश-मानसरोवर यात्रा समेत सीमा पार सहयोग तथा आदान-प्रदान को शीघ्र बहाल करने पर केंद्रित रही।
परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत हुई इस 33वीं वार्ता में दोनों पक्षों ने विभिन्न उपायों एवं प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया, ताकि पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच विशेष प्रतिनिधि वार्ता में लिए गए निर्णयों को प्रभावी बनाया जा सके।
विदेश मंत्रालय के अनुसार भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया। इस दौरान भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई और दोनों पक्षों ने माना कि समग्र द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास के लिए सीमा पर शांति और सौहार्द्र महत्वपूर्ण है।
मंत्रालय ने कहा दोनों पक्ष इस दिशा में प्रासंगिक राजनयिक और सैन्य तंत्र बनाए रखने और मजबूत करने पर सहमत हुए। उन्होंने सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान को शीघ्र बहाल करने पर भी विचार-विमर्श किया, जिसमें सीमा पार नदियों और कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर विचार-विमर्श शामिल है। दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की अगली बैठक के लिए पर्याप्त तैयारी करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की, जो इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित की जाएगी।