नई दिल्ली। क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी में निजी खपत की हिस्सेदारी बढ़ने से भारत की वृद्धि अधिक संतुलित हो रही है। जो कि देश के लिए एक अच्छी खबर है।
दूसरे एडवांस अनुमानों में 10 आधार अंकों (बीपीएस) के मामूली संशोधन के साथ वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे इस वित्त वर्ष में अपेक्षित वास्तविक जीडीपी वृद्धि महामारी से पहले के दशक में देखी गई 6.6 प्रतिशत के औसत के करीब पहुंच गई है।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, यह पिछले वर्ष की वृद्धि में 100 बीपीएस के तेज ऊपर की ओर रिविजन से बढ़कर 9.2 प्रतिशत हो गई है।
उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहेगी, जिसे सामान्य मानसून, कम खाद्य मुद्रास्फीति और इस महीने की शुरुआत में शुरू हुए वर्तमान साइकल में 75-100 आधार अंकों की दर कटौती का सपोर्ट मिलेगा।
जैसा कि अनुमान था, वित्त वर्ष 2024 में सार्वजनिक और घरेलू निवेश सबसे तेजी से बढ़ने वाले निवेश घटक थे।
कॉर्पोरेट द्वारा प्राप्त वित्तीय लचीलापन और लो-लीवरेज अभी भी बेहतर निवेश में नहीं बदला है।
मौजूदा टैरिफ युद्ध और चीन से डंपिंग के डर ने कॉर्पोरेट क्षेत्र को निवेश को लेकर सतर्क कर दिया है।
जोशी ने कहा, टैरिफ एक्शन से होने वाले जोखिमों की जटिलता – जो पहले ही शुरू हो चुकी है, समय के साथ विकसित हो रही है और हमारे पूर्वानुमानों के लिए डाउनसाइड बायस की स्थिति पैदा करती है।
आने वाले महीनों में इस तरह के और उपायों के लागू होने की संभावना भी बनी हुई है।
वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में संशोधित आंकड़े 5.6 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत हो गई।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए विकास दर अब 6.5 प्रतिशत अनुमानित है, जबकि 2023-24 के लिए आर्थिक विकास दर को संशोधित कर 12 साल के उच्चतम स्तर 8.2 प्रतिशत कर दिया गया है।
इस बीच, चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी) में राजकोषीय घाटा 11.70 लाख करोड़ रुपये या वार्षिक अनुमान का 74.5 प्रतिशत रहा।