नई दिल्ली में एनएक्सटी 2025 कॉन्क्लेव में विक्रमसिंघे ने भारत के साथ श्रीलंका के छह दशकों से चले आ रहे मजबूत संबंधों पर अपने विचार पेश किए। उन्होंने कहा, 2050 तक, केवल तीन वैश्विक शक्तियां होंगी: संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत। यह वास्तविकता है।
विक्रमसिंघे ने कहा, मैं 1963 से भारत आ रहा हूं। अब आपको यह देखना होगा। भारत आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए उड़ान भरने के चरम बिंदु पर पहुंच गया है। उन्होंने भारत के उदय को वह इंजन बताया जो पूरे दक्षिण एशिया को साझा समृद्धि के एक नए युग में ले जा सकता है।
विक्रमसिंघे ने भारत के उदय से उत्पन्न आर्थिक अवसरों को लेकर भी अपना मत साझा किया। उन्होंने कहा कि अकेला दक्षिण भारत 2050 तक 6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह वृद्धि श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और दक्षिण पूर्व एशिया को भारत-केंद्रित सप्लाई चेन में जोड़ने वाले गलियारे बनाएगी, जबकि आसियान देश भारत और चीन के बीच अपनी आर्थिक निर्भरता को संतुलित करेंगे।
उन्होंने कहा कि आसियान के साथ चीन का व्यापार तीन गुना हो जाएगा, लेकिन भारत का व्यापार नौ गुना तक बढ़ सकता है, जो कि संभावित रूप से समय के साथ आसियान को भारत के करीब लाएगा।
विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद, जो वर्तमान में लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर है, 2050 तक बढ़कर 30 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह असाधारण वृद्धि पूरे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को नया आकार देगी और सप्लाई चेन, मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टरों और इंटीग्रेटेड आर्थिक गलियारों के विकास के जरिए बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और दूसरों के लिए नए अवसर पैदा करेगी।
विक्रमसिंघे ने एनएक्सटी कॉन्क्लेव में पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। रानिल विक्रमसिंघे के साथ हुई इस मुलाकात की जानकारी पीएम मोदी ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल से दी। पीएम मोदी ने लिखा, एनएक्सटी कॉन्क्लेव में मैं अपने मित्र रानिल विक्रमसिंघे से मिला। मैं हमेशा हमारी बातचीत के लिए उत्सुक रहा हूं और विभिन्न मुद्दों पर उनके दृष्टिकोण की प्रशंसा करता हूं।