संगम तट पर फलीभूत हुआ एकता का महाकुम्भ

प्रयागराज महाकुम्भ में महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर सनातन धर्म की एकता का प्रदर्शन

लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, न वर्ण, न जाति, बस सनातन एकता का उत्सव

न ब्राह्मण, न वैश्य, न क्षत्रिय, न शूद्र, सिर्फ सनातन धर्म की शाश्वत सुंदरता और एकता का प्रतीक बनकर संगम तट पर संपन्न हुआ पवित्र स्नान

महाकुम्भ नगर: महाकुम्भ के अंतिम अमृत स्नान पर्व महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रयागराज में करोड़ों सनातनी श्रद्धालुओं का समुद्र उमड़ पड़ा। न ‘ब्राह्मण,’ न ‘वैश्य,’ न ‘क्षत्रिय,’ न ‘शूद्र’, सिर्फ सनातन धर्म की शाश्वत सुंदरता और एकता का प्रतीक बनकर संगम तट पर यह पवित्र स्नान संपन्न हुआ। सुबह के धुंधलके से लेकर दिन चढ़ते तक, गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। मंत्रोच्चार और भक्ति संगीत के बीच, यह दृश्य सनातन संस्कृति की जीवंतता को दर्शाता रहा। प्रशासन द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था के लिए किए गए कड़े इंतजामों के बीच यह महाकुम्भ महज धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन समाज की एकजुटता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बन गया। महाशिवरात्रि का यह स्नान कुम्भ के समापन का एक ऐतिहासिक क्षण रहा।

मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प से एकता का महायज्ञ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुम्भ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन बन गया, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सनातन संस्कृति के संकल्प का प्रतीक भी बन गया है। पीएम मोदी और सीएम योगी ने इसे ‘एकता का महाकुम्भ’ करार देते हुए देशवासियों को एक सूत्र में बांधने का संदेश दिया था। संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं का समागम इस संकल्प की जीवंत तस्वीर पेश कर रहा है।

भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक ताकत का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां इस महाकुम्भ को भव्य और सुव्यवस्थित बनाने के लिए दिन-रात प्रयास किए, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मार्गदर्शन से इसे वैश्विक पटल पर पहचान दिलाई। सीएम योगी ने महाकुम्भ को लेकर कहा था कि यह आयोजन जाति, पंथ और वर्ग के भेदभाव को मिटाकर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करता है। लाखों श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर यह सिद्ध कर दिखाया कि एकता ही हमारी असली पहचान है। महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर अंतिम स्नान के साथ महाकुम्भ का समापन हुआ, लेकिन इसका संदेश विश्व भर में गूंज रहा है। योगी और मोदी के संकल्प से प्रेरित यह महाकुम्भ न सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक ताकत को भी रेखांकित कर रहा है।

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