बैठक में बुनियादी ढांचे, खनन, जल आपूर्ति, पर्यावरण, वन और राज्य पुनर्गठन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी। इसके अलावा, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी), टेलीकॉम और इंटरनेट के विस्तार और क्षेत्रीय विकास से जुड़े सामान्य मुद्दे भी एजेंडे में शामिल हैं।
बैठक में राष्ट्रीय स्तर के कई अहम मुद्दों पर भी मंथन होगा, जिनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की तेज जांच, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना, प्रत्येक गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक और इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की सुविधा, पोषण अभियान के तहत बच्चों में कुपोषण कम करने के प्रयास, स्कूली बच्चों की ड्रॉपआउट दर घटाने के उपाय और आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सरकारी अस्पतालों की भागीदारी जैसे विषय शामिल होंगे।
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव शामिल हैं। बैठक में इन राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक, प्रत्येक राज्य के दो वरिष्ठ मंत्री, मुख्य सचिव, सलाहकार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। इसके अलावा, केंद्रीय गृह सचिव, अंतर-राज्यीय परिषद के सचिव और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
बता दें कि 1957 में राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री इन परिषदों के अध्यक्ष होते हैं, जबकि संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक इसके सदस्य होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, ताकि राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर तालमेल स्थापित हो सके। गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्यों को सशक्त बनाने और क्षेत्रीय परिषदों को एक प्रभावी कार्य मंच के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाए हैं।